Gujarat Weather: जलवायु परिवर्तन का शहरी क्षेत्रों पर गंभीर प्रभाव पड़ने वाला है. गर्म दिन और बढ़ेंगे, जबकि गुजरात में बारिश बढ़ेगी. इन मुद्दों को हल करने के लिए, नगर निगमों को अहमदाबाद, राजकोट और सूरत जैसे शहरों में वनों को बढ़ाने की आवश्यकता है, जबकि रासायनिक उपयोग को भी नियंत्रित करने की आवश्यकता है. गुजरात सरकार ने वसुधा फाउंडेशन और अन्य एजेंसियों के साथ मिलकर अहमदाबाद और राजकोट जिलों के लिए एक जलवायु परिवर्तन कार्य योजना तैयार की है, जैसा कि इस साल की शुरुआत में जारी रिपोर्ट में बताया गया है.


क्या कहती है रिपोर्ट?
रिपोर्ट के निष्कर्षों के अनुसार, 2005 से ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में 78 फीसदी की वृद्धि हुई है. ऊर्जा क्षेत्र के उत्सर्जन में 71.32 फीसदी की वृद्धि हुई है, जबकि जल क्षेत्र के उत्सर्जन में 7.06 फीसदी की वृद्धि हुई है. 2030 तक उत्सर्जन में 96 फीसदी की वृद्धि होने की संभावना है. कार्य योजना रिपोर्ट की मुख्य लेखक रिनी दत्त और अन्य ने पाया कि जलवायु परिवर्तन के प्रभाव के कारण अहमदाबाद में बारिश में 8 से 17 फीसदी और राजकोट में 10 से 12 फीसदी की वृद्धि होने की संभावना है. अहमदाबाद और राजकोट में जुलाई और अगस्त में अधिक बारिश होगी.


क्या बढ़ेगी गर्मी?
अध्ययन के अनुसार आने वाले वर्षों में दोनों शहर अधिक गर्म होंगे. राजकोट में हाल के वर्षों में गर्म दिनों में 10 फीसदी और अहमदाबाद में 8 से 10 फीसदी की वृद्धि हुई है. दत्त और मंजूषा मुखर्जी का पूवार्नुमान है कि आने वाले वर्षों में अहमदाबाद में गर्म दिनों में 45 फीसदी और राजकोट में 53 फीसदी की वृद्धि होगी. दोनों शहरों में ठंड के दिनों में कमी आएगी. अहमदाबाद जिले की 84 फीसदी आबादी शहरी क्षेत्रों में रहती है, जो राज्य का 4 फीसदी है. शहर के क्षेत्रफल में 1990 में 140 वर्ग किमी से 2017 में 212 वर्ग किमी का भारी उछाल आया है. शहरी क्षेत्रों ने कृषि और वन भूमि पर अधिक कब्जा जमाया हुआ है.


जलवाई परिवर्तन का असर
जलवायु परिवर्तन के कारण अहमदाबाद में जुलाई और अगस्त में बरसात के दिनों में वृद्धि होगी, जबकि गर्मी और अधिक गर्म होने वाली है. 2030 में अधिकतम तापमान मई में 41.8 डिग्री सेल्सियस, अप्रैल में 40.2 डिग्री सेल्सियस और मार्च में औसतन 36.8 डिग्री सेल्सियस रहने की संभावना है. अहमदाबाद जिले में 1.62 फीसदी वन क्षेत्र है और विशेषज्ञों ने सिफारिश की है कि जिले को अगले दशक में अपने वन क्षेत्र को 7 फीसदी तक बढ़ाने की जरूरत है, जो 8.47 मिलियन टन कार्बन उत्सर्जन से बचने में मदद करेगा.


जलवायु चुनौतियों का सामना करने के लिए अहमदाबाद/राजकोट में जिला प्रशासन और नगर निगमों को शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में उचित उपचार के बाद 100 फीसदी घरेलू अपशिष्ट जल का पुन: उपयोग करने की आवश्यकता है. विशेषज्ञों ने जल उपचार पद्धति को एनारोबिक्स से बदलकर केवल एरोबिक्स सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट्स (एसटीपी) करने का सुझाव दिया है.रिपोर्ट में वर्टिकल अर्बन ग्रोथ की ओर बढ़ने का भी सुझाव दिया गया है, क्योंकि यह प्रति वर्ग मीटर अधिक लोगों को समायोजित करेगा, साथ ही साथ कृषि भूमि और खुली जगह के नुकसान को कम करेगा.


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