Gujarat HC: माफी मांगने के बाद वकील के खिलाफ अवमानना मामला किया बंद, पढ़ें पूरी खबर
Gujarat HC: गुजरात हाईकोर्ट ने 2014 के स्वत: संज्ञान मामले में माफ़ी मांगने के बाद एक वकील के खिलाफ अवमानना मामले को बंद करने का फैसला किया.
Gujarat HC: गुजरात हाईकोर्ट की एक खंडपीठ ने बुधवार को 2014 के स्वत: संज्ञान मामले में तत्कालीन मौजूदा एचसी न्यायाधीश और अब (सेवानिवृत्त) न्यायमूर्ति हशा देवानी के खिलाफ आरोप लगाने के लिए एक वकील के खिलाफ अवमानना मामले को बंद करने का फैसला किया.
अवमानना को शांत करने का किया फैसला
एचसी ने अधिवक्ता अवनीश पांड्या की बिना शर्त माफी और पछतावे की वास्तविक अभिव्यक्ति को स्वीकार करके शुरू की गई अवमानना कार्यवाही को खत्म करने का फैसला किया. पांड्या ने अदालत के समक्ष प्रस्तुत किया कि वह एक वकील के रूप में सक्रिय सेवा से हट रहे हैं और 'मां चामुंडा सेना' नामक एक हिंदू अधिकार समूह में शामिल होकर "हिंदू समाज के लिए अच्छा" करने की योजना बना रहे हैं.
मामला नवंबर और दिसंबर 2014 के दो पत्रों से संबंधित है. अधिवक्ता ने गुजरात एचसी पांडया को पत्र लिखकर सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति देवानी पर सवाल उठाया था कि क्या उन्होंने पांड्या और अन्य को बदनाम करने की दृष्टि से मीडिया को एक मामला लीक किया था? एचसी रजिस्ट्री ने पत्रों को "न केवल अपमानजनक, बल्कि न्यायालयों की अवमानना अधिनियम की धारा 2 (सी) के तहत" आपराधिक अवमानना के समान माना था.
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अदालत ने बिना शर्त माफी को किया स्वीकार
बुधवार को, पंड्या ने अपने वकील, वरिष्ठ अधिवक्ता यतिन ओझा के माध्यम से, मुख्य न्यायाधीश अरविंद कुमार और न्यायमूर्ति ए जे शास्त्री की खंडपीठ के समक्ष प्रस्तुत किया कि उन्होंने अब बिना शर्त माफी मांगी है, अपने कार्यों पर पछतावा है और आरोपों को वापस लेने के लिए तैयार हैं.
अदालत ने पांड्या की बिना शर्त माफी को स्वीकार करते हुए कहा कि "प्रथम दृष्टया, यह तमाशा नहीं है" और "वास्तविक, ईमानदार और पछतावे के साथ" प्रतीत होता है. हालांकि, पीठ ने अधिवक्ता को इस तरह की हरकत दोबारा न करने की चेतावनी दी. पंड्या ने जवाब दिया कि वह "पेशा छोड़ रहा है" और "आध्यात्मिक" मार्ग अपनाना चाहता है.
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