Gujarat HC: गुजरात हाईकोर्ट ने बुधवार को राज्य सरकार के स्कूलों में 100% अटेंडेंस पर जोर देने पर सवाल उठाया और कहा कि इसे माता-पिता की मर्जी के मुताबिक छोड़ देना चाहिए. राज्य के शिक्षा विभाग के पिछले महीने के सर्कुलर पर आपत्ति जताते हुए एक जनहित याचिका की सुनवाई की, जिसमें सभी स्कूली छात्रों के लिए फिजिकल अटेंडेंस अनिवार्य कर दी गई थी.
'माता-पिता की मर्ज़ी के मुताबिक छोड़ देना चाहिए'
मुख्य न्यायाधीश अरविंद कुमार और न्यायमूर्ति आशुतोष शास्त्री की पीठ ने सरकार से पूछा, आप 100% अटेंडेंस पर जोर क्यों देते हैं ? इसे माता-पिता की मर्ज़ी के मुताबिक छोड़ देना चाहिए. उन्होंने स्कूलों में 100 % अटेंडेंस के सरकार के जोर पर सवाल उठाते हुए कहा, आज, क्या आपने मेडिकल बुलेटिन देखा है? गुजरात सहित छह राज्यों में, डेल्टा प्लस ओमीक्रॉन के 26 मामले सामने आए हैं. कल महाराष्ट्र में 66 मामले और गुजरात में 33 मामले थे. आप जोखिम क्यों लेना चाहते हैं? इसे माता-पिता के विवेक पर छोड़ दें.
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'आगे की सुनवाई शुक्रवार को होगी'
सरकारी वकील ने कहा कि अगर कोई छात्र स्कूल नहीं जाना चाहता तो सरकार इस पर जोर नहीं दे सकती, इस पर प्रधान न्यायाधीश ने कहा, उस स्थिति में आपको यह नहीं कहना चाहिए कि हम आपको एब्सेंट मार्क करेंगे और अनुपस्थिति के आधार पर, हम हॉल टिकट जारी नहीं करेंगे या आपको परीक्षा देने की अनुमति नहीं देंगे. हाई कोर्ट ने सरकारी वकील को इस विषय पर उचित निर्देश प्राप्त करने के लिए कहा और शुक्रवार को आगे की सुनवाई की तिथि निर्धारित की.
बता दें कि गांधीनगर के एक बिजनेसमेन अभिलाष मुरलीधरन ने 18 फरवरी को जारी राज्य सरकार के सर्कुलर को चुनौती देते हुए जनहित याचिका दायर की थी. उन्होंने तर्क दिया कि इस फैसले ने बच्चों को जोखिम में डाल दिया है क्योंकि सभी बच्चों का वैक्सीनेशन नहीं किया जाता है और अनिवार्य उपस्थिति पर सरकार का आग्रह राज्य और केंद्र सरकारों के कोविड -19 दिशानिर्देशों के विपरीत है.
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