Gujarat HC: गुजरात हाईकोर्ट ने सोमवार को अदालत की अवमानना ​​याचिका पर गुजरात राज्य वक्फ ट्रिब्यूनल के अध्यक्ष और दो सदस्यों को एक नोटिस जारी किया. अर्जी में आरोप लगाया गया है कि ट्रिब्यूनल ने हाईकोर्ट के स्टे के बावजूद आदेश पारित किया. एक वकील शकील कुरैशी के अनुसार, मामला खंभात में 4 एकड़ जमीन का है जो मूल रूप से इलाके के तत्कालीन नवाब का था. 


क्या है पूरा मामला?


नवाब ने जमीन पर एक धार्मिक संरचना का निर्माण किया था और संरचना के प्रबंधन के लिए अंजुमन-ए-बज़्मे-रफीक नामक एक ट्रस्ट को अधिकृत किया था. पिछले साल, तत्कालीन शाही परिवार के एक सदस्य ने निजी पार्टियों को जमीन बेच दी थी, लेकिन संपत्तियों में धार्मिक संरचना शामिल नहीं थी. 


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ट्रस्ट ने भूमि के स्वामित्व का दावा करते हुए ट्रिब्यूनल से संपर्क किया और मांग की कि निजी पार्टियों के पक्ष में बिक्री रद्द कर दी जाए. ट्रिब्यूनल ने यथास्थिति प्रदान की इससे खरीदार हाई कोर्ट पहुंचे, जिसने 21 फरवरी को ट्रिब्यूनल के यथास्थिति के आदेश पर रोक लगा दी. 


ट्रिब्यूनल ने 22 मार्च को यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया


बाद में, खरीदारों ने ट्रिब्यूनल का रुख किया और तर्क दिया कि इस मामले की सुनवाई का कोई अधिकार क्षेत्र नहीं था क्योंकि जमीन वक्फ संपत्ति के रूप में पंजीकृत नहीं थी. लेकिन ट्रिब्यूनल ने 22 मार्च को यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया. आवेदक ने हाईकोर्ट को बताया कि स्टे आर्डर के ट्रिब्यूनल के आदेश के बाद लाया गया था लेकिन इसने कथित तौर पर अदालत के आदेश का उल्लंघन किया.


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