Gujarat HC: गुजरात हाईकोर्ट एक याचिका की शिकायत के बाद पुलिसकर्मियों पर भड़क उठा और कहा कि उन्हें अपने व्यक्तिगत विचारों और विश्वासों को घर पर छोड़ देना चाहिए. दरअसल अदालत बनासकांठा के एक व्यक्ति द्वारा दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें शिकायत की गई थी कि उसकी पत्नी को जबरन हिरासत में लिया गया था और वडगाम पुलिस स्टेशन में पुलिस ने उसके साथ मारपीट की थी.


क्या है पूरा मामला?


अदालत ने उसके आरोपों की जांच का आदेश दिया और महिला को यह पता लगाने के लिए अदालत में बुलाया कि क्या वह पुरुष के साथ रहना चाहती है. जांच रिपोर्ट से नाखुश, अदालत ने पुलिस अधीक्षक से एक नई रिपोर्ट पेश करने को कहा है ताकि यह संदेश दिया जा सके कि सिर्फ इसलिए कि वे पुलिस बल में हैं, उन्हें छोड़ा नहीं जा सकता, कोर्ट ने कहा कि दोषियों को बख्शा नहीं जाना चाहिए. यह देखते हुए कि दंपति के मामले में पुलिस का हस्तक्षेप भी एक निश्चित समुदाय की महिला के कारण था,


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'व्यक्तिगत विचार और विश्वास जो भी हो, वे घर पर रख कर आएं'


अदालत ने कहा कि तीन जिलों में सबसे अधिक लड़कियां हैं जो घरों से भागती हुई प्रतीत होती हैं. अदालत ने कहा कि वह ऐसी स्थिति नहीं चाहती है जिसमें लोग पुलिस बल में केवल इसलिए विश्वास न करें क्योंकि बल में एक विशेष समुदाय के कुछ लोग हैं. उनके व्यक्तिगत विचार और विश्वास जो भी हो, वे घर पर रख कर आएं उन्हें यह नहीं भूलना चाहिए कि हम सभी भारत के संविधान द्वारा शासित हैं. इससे पहले, जब अदालत ने महिला को तलब किया, तो उसने अदालत से कहा कि वह अपने माता-पिता के साथ रहना चाहेगी.


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