Gujarat News: अपनी नाबालिग बेटी से छेड़छाड़ के आरोपी एक व्यक्ति को जमानत देने से इनकार करते हुए, गुजरात उच्च न्यायालय ने कहा है कि बलात्कार और छेड़छाड़ भारतीय समाज की एक 'काली सच्चाई' है. पिछले महीने पारित फैसले में, न्यायमूर्ति समीर दवे ने एक व्यक्ति के जीवन में माता-पिता के महत्व को रेखांकित करने के लिए मनुस्मृति और पद्म पुराण के श्लोकों का भी हवाला दिया.


बलात्का और छेड़छाड़ भारतीय समाज की काली सच्चाई


इंडियन एक्सप्रेस डॉट कॉम के मुताबिक, 16 दिसंबर को दिए अपने आदेश में न्यायमूर्ति समीर देव ने कहा था कि  बलात्कार या छेड़छाड़ भारतीय समाज की एक ऐसी काली सच्चाई है जो एक महिला की आत्मा को तबाह कर देती है, उसके स्वाभिमान को चकनाचूर कर देती है और कुछ लोगों के जीने की उम्मीद को खत्म कर देती है.  यह उस महिला या लड़की की अंतर्दृष्टि को हिला देता है जो कभी खुशमिजाज हुआ करती थी. इस आदेश की कॉपी 4 जनवरी को सार्वजनिक की गयी है.


पत्नी ने लगाया था पति पर बेटी के रेप का आरोप


बता दें कि पिछले साल जनवरी में देवभूमि द्वारका जिले की एक महिला ने अपने पति पर अपनी 12 वर्षीय बेटी का दो बार दुष्कर्म करने का आरोप लगाया था. इसके बाद आरोपी के खिलाफ आईपीसी की धारा  354(a)  और  354(b) (छेड़छाड़) और यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण अधिनियम की प्रासंगिक धाराओं के तहत मामला दर्ज कर उसे गिरफ्तार कर लिया गया था.


बेटी से शादी करना चाहता था पिता


वहीं राज्य सरकार ने उसे जमानत दिये जाने का यह कहते हुए विरोध किया था कि आरोपी वे बहुत ही गंभीर अपराध किया है और वह दोबारा से इस अपराध को दोहरा सकता है. पुलिस जांच का हवाला देते हुए हाई कोर्ट ने पाया कि आरोपी ने न केवल अपनी बेटी से छेड़छाड़ की बल्कि अपनी पत्नी से कहा कि वह अपनी बेटी से शादी करना चाहता है. जस्टिस देव ने आरोपी की जमानत रद्द करते हुए कहा कि एक बेटी यह भरोसा करती है कि उसका पिता उसे बाहरी बुराइयों से बचाएगा, लेकिन जब वही रक्षक उसे चीर डालता है और इसके परिणामस्वरूप उसे जो आघात होता है उसका वर्णन भी नहीं किया जा सकता है.


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