Gujarat HC: गुजरात हाईकोर्ट ने गुरुवार को हल्के-फुल्के अंदाज में कहा कि अगर वडोदरा की एक अदालत में बॉलीवुड स्टार शाहरुख खान के खिलाफ मुकदमा चलाया जाता है तो किस प्रकार की अराजकता पैदा होगी. यह बात उस दौरान सामने आई जब शाहरुख खान की याचिका पर सुनवाई की जा रही थी. दरअसल याचिका में उनके खिलाफ रेलवे स्टेशन पर भगदड़ मचने के लिए आरोप लगाए गए, जब अभिनेता 2017 में अपनी फिल्म रईस के प्रचार के दौरान स्टेशन से गुजरे.
अगर खान मुक़दमे के लिए आएंगे तब कितनी अराजकता होगी?
जस्टिस निखिल करील ने फिल्म के प्रचार अभियान के दौरान दिल्ली जाने वाली ट्रेन में फिल्म स्टार की मौजूदगी के कारण रेलवे स्टेशन पर हुई अराजकता का जिक्र करते हुए हल्की-फुल्की टिप्पणी की. जज ने उपस्थित वकीलों से यह कल्पना करने के लिए कहा कि एक बार जब सेलिब्रिटी अदालत में मुकदमे में शामिल होने के लिए आएंगे तो किस तरह की अराजकता होने की संभावना है.
न्यायमूर्ति कारियल ने कहा, "यदि आप चाहते हैं कि मुकदमा हो, तो क्या आप उस अराजकता की कल्पना करते हैं जो इसका कारण बनेगी?" न्यायाधीश ने फिर से स्पष्ट किया कि वह हल्के स्वर में ऐसा कह रहे थे और आगे प्रस्ताव दिया, "मैं उनसे आपको (पत्रकार) एक माफी पत्र भेजने के लिए कहूंगा और आप इसे समाप्त कर दें.
क्या था पूरा मामला?
23 जनवरी, 2017 को हुई इस भगदड़ में एक व्यक्ति की मौत हो गई थी और दो पुलिसकर्मी बेहोश हो गए थे. इसके बाद स्थानीय कांग्रेसी जिरेंद्र सोलंकल ने शिकायत दर्ज कराई, पुलिस ने स्टार के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज की और अदालत ने इसका संज्ञान लिया. शाहरुख़ खान ने एफआईआर रद्द करने के लिए हाईकोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया.
अगली सुनवाई 24 फरवरी को
सुनवाई के दौरान, शिकायतकर्ता के वकील आरएन सिंह ने प्रस्तुत किया कि सेलिब्रिटी की ओर से गैर-जिम्मेदाराना व्यवहार था कि उसने भीड़ पर टी-शर्ट और गेंद फेंकी और अराजकता पैदा की. उसके खिलाफ आईपीसी की धाराएं लगाई गई हैं. खान के वकील मिहिर ठाकोर ने तर्क दिया कि मरने वाले व्यक्ति को हृदय संबंधी समस्या थी और उसके परिवार ने भी इसे स्वीकार किया था. उन्होंने तर्क दिया कि इस मामले में केवल आईपीसी की धारा 336 निहित है जिसमें तीन महीने तक की सजा या 250 रुपये जुर्माना या दोनों है. अदालत ने इस मामले में आगे की सुनवाई के लिए 24 फरवरी की तिथि निर्धारित की गई है.
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