Gujarat: लाउडस्पीकर से अजान पर प्रतिबंध की मांग वाली याचिका खारिज, HC ने कहा- ध्वनि प्रदूषण का कोई वैज्ञानिक आधार नहीं
Gujarat News: गुजरात हाई कोर्ट में एक जनहित याचिका दाखिल की गई थी. Fसमें यह कहा गया था कि लाउडस्पीकर पर अजान करने से ध्वनि प्रदूषण होता है और इसपर विचार होना चाहिए.
Gujarat High Court Order: गुजरात हाई कोर्ट (Gujarat High Court) ने मस्जिदों में लाउडस्पीकर (Loudspeaker) पर अजान (Azan) कराए जाने को लेकर बड़ा फैसला सुनाया है. कोर्ट का कहना है कि मस्जिदों में लाउडस्पीकर पर अजान की जा सकती है. दरअसल, लाउडस्पीकर से अजान से ध्वनि प्रदूषण (Sound Pollution) उत्पन्न होने की शिकायत को लेकर कोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी.
वहीं, गुजरात हाई कोर्ट ने याचिका की उस बात पर विचार करने से इनकार कर दिया जिसमें कहा गया था कि 10 मिनट या उससे कम समय के लिए लाउडस्पीकर पर अजान करने से ध्वनि प्रदूषण पैदा होता है. हाई कोर्ट ने याचिका की सुनवाई के दौरान कहा कि किसी भी धर्म में पूजा-पाठ के लिए सीमित समय की आवश्यकता होती है. मंदिरों में आरती सीमित समय के लिए लाउडस्पीकर पर बजाई जाती है. इसका कोई आधार और प्रमाण नहीं है कि मस्जिदों में सीमित अविधि के लिए अजान को ध्वनि प्रदूषण माना जा सकता है.
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मुख्य न्यायाधीश सुनीता अग्रवाल और न्यायमूर्ति अनिरुद्ध पी. मायी की खंडपीठ ने सुनवाई के दौरान यह भी पूछा कि क्या याचिकाकर्ता यह दावा कर सकता है कि किसी मंदिर में आरती के दौरान घंटियों और घड़ियाल का शोर बाहर नहीं सुनाई देता है. बजरंग दल नेता शक्तिसिंह झाला की ओर से दायर याचिका में दावा किया गया है कि लाउडस्पीकर के माध्यम से अजान के कारण होने वाला ‘ध्वनि प्रदूषण’ लोगों, खासकर बच्चों के स्वास्थ्य को प्रभावित करता है और अन्यथा असुविधा का कारण बनता है.
हाई कोर्ट ने कहा कि याचिका में दावों का कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है. कोर्ट ने बताया कि अजान दिन के अलग-अलग घंटों में एक बार में अधिकतम दस मिनट के लिए की जाती है. कोर्ट ने यह भी कहा, 'हम यह समझने में असफल हैं कि सुबह लाउडस्पीकर के माध्यम से अजान देने वाली मानव आवाज ध्वनि प्रदूषण पैदा करने के स्तर (डेसीबल) तक कैसे पहुंच सकती है, जिससे बड़े पैमाने पर जनता के स्वास्थ्य को खतरा हो सकता है.' कोर्ट ने कहा, 'हम इस तरह की जनहित याचिका पर विचार नहीं कर रहे हैं. यह वर्षों से चली आ रही आस्था और प्रथा है जो पांच-दस मिनट के लिए होती है.’’
इसने याचिकाकर्ता के वकील से पूछा, ‘‘आपके मंदिर में, ढोल और संगीत के साथ सुबह की आरती भी सुबह तीन बजे शुरू होती है. क्या आप कह सकते हैं कि घंटे और घड़ियाल का शोर केवल मंदिर परिसर में ही रहता है, मंदिर के बाहर नहीं फैलता?’’ कोर्ट ने कहा कि ध्वनि प्रदूषण के स्तर को मापने के लिए एक वैज्ञानिक तरीका है, लेकिन याचिका में यह दिखाने के लिए कोई डेटा नहीं दिया गया है कि 10 मिनट की अज़ान से ध्वनि प्रदूषण होता है.