Gujarat HC: गुजरात हाईकोर्ट ने सोमवार को भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) को एक शख्स के लापता होने के मामले में फटकार लगाई और एक आईपीएस अधिकारी के साथ आधार जानकारी साझा करने की अनिच्छा के लिए अदालत की अवमानना ​​​​कार्यवाही शुरू करने की धमकी दी. जिसे अदालत ने एक दशक पहले स्कूल के हॉस्टल से लापता हुए एक व्यक्ति का पता लगाने का काम सौंपा था. 


क्या है पूरा मामला?


मामला देवदार कस्बे के रहने वाला जिगर जादव का है. वह देवास में जागृति उत्तर बुनियादी विद्या मंदिर में पढ़ रहा था और डॉ बाबासाहेब अम्बेडकर कुमार हॉस्टल  में रहता था. जिगर अक्टूबर 2011 में लापता हो गया था और उसके पिता ने लड़के के लापता होने के एक दशक बाद हाईकोर्ट से गुहार लगाई थी कि वह उसे ढूंढने में मदद करे. चूंकि लड़के के ठिकाने का कोई सुराग नहीं था, इसलिए एचसी ने यूआईडीएआई के पास जमा की गई जानकारी के माध्यम से उसका पता लगाने की संभावना तलाशने की कोशिश की, आधार प्राधिकरण लड़के से संबंधित किसी भी विवरण का पता नहीं लगा सका.


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हाईकोर्ट ने कहा- 'हमें क़ानून न दिखाएं'


यूआईडीएआई के उप निदेशक ने एक हलफनामा दायर किया और उच्च न्यायालय को बताया कि वह व्यक्ति की सहमति के बिना गोपनीय जानकारी को प्रकट करने का आदेश नहीं दे सकता था. उन्होंने अपनी दलील का समर्थन करने के लिए सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का भी हवाला दिया.जांचकर्ता के साथ जानकारी साझा करने के अपने 11 जनवरी, 2022 के आदेश को हटाने के लिए एचसी से यूआईडीएआई का अनुरोध उस पर भारी पड़ा. इस पर हाईकोर्ट ने कहा कि हमें कानून न दिखाएं.


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