Gujarat High Court: कोरोना के चलते हुई माता-पिता की मौत, हाईकोर्ट ने मौसी को सौंपी कस्टडी
न्यायमूर्ति सोनिया गोकणी और न्यायमूर्ति मौना भट्ट की खंडपीठ ने सोमवार को जारी एक आदेश में कहा कि बच्चे की अविवाहित मौसी उसकी सभी जरूरतों की पूर्ति के लिए उपयुक्त होगी.
Gujarat News: गुजरात उच्च न्यायालय पिछले साल कोरोना महामारी में अपने माता-पिता को खो चुके पांच-वर्षीय बच्चे का संरक्षण दादा-दादी को सौंपने के बजाय मौसी को सौंपा है. न्यायमूर्ति सोनिया गोकणी और न्यायमूर्ति मौना भट्ट की खंडपीठ ने सोमवार को जारी एक आदेश में कहा कि बच्चे की अविवाहित मौसी उसकी सभी जरूरतों की पूर्ति के लिए उपयुक्त होगी. बच्चे की मौसी केंद्र सरकार की कर्मचारी है और उसकी उम्र चालीस से पचास वर्ष के बीच में है. वह संयुक्त परिवार में रहती है.
अनाथ बच्चे के दादा ने बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की थी और दावा किया था कि उनके पोते की मौसी बच्चे से उन्हें मिलने नहीं देती है. बच्चे के माता-पिता की मृत्यु पिछले वर्ष मई और जून में कोरोना महामारी के कारण हो गयी थी.
Mathura Weather Update: मथुरा में अचानक बदला मौसम, ओलावृष्टि और बारिश से मिली राहत
बच्चे की मौसी का आरोप
उधर बच्चे की मौसी ने आरोप लगाया है कि याचिकाकर्ता का परिवार बच्चे के माता-पिता के प्रेम-विवाह से नाखुश था, क्योंकि दोनों अलग-अलग जाति से थे और इसकी वजह से अहमदाबाद में उन्हें स्थापित होने में काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा था. मौसी ने दावा किया था कि उसने बच्चे के माता-पिता को शहर में रहने के लिए अपना मकान दे दिया था और कोविड-19 संक्रमण के इलाज पर खर्च भी किया था.
हालांकि याचिकाकर्ता (दादा) का दावा था कि सेवानिवृत्त केंद्रीय सरकारी कर्मचारी होने के नाते वह पोते की बेहतर देखभाल कर सकते हैं. उन्होंने कहा था कि उनका पोता उनसे और अपनी दादी से काफी लगाव रखता है.
अदालत ने बच्चे की अभिरक्षा मौसी को सौंपते हुए उसे निर्देश दिया कि वह बच्चे के दादा-दादी को अपने पोते से मिलने का अधिकार उपलब्ध कराएगी और बच्चे को छुट्टियों के दौरान उनके यहां जाने देगी.