Gujarat High Court: गुजरात हाई कोर्ट की एक खंडपीठ ने इस महीने की शुरुआत में नवरात्रि के दौरान पथराव की घटना के बाद खेड़ा जिले के उंधेला गांव में मुस्लिम पुरुषों की सार्वजनिक पिटाई में शामिल पुलिसकर्मियों सहित राज्य के अधिकारियों को गुरुवार को नोटिस जारी किया. मुख्य न्यायाधीश अरविंद कुमार और न्यायमूर्ति ए जे शास्त्री की पीठ के समक्ष याचिकाकर्ताओं का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता आई एच सैयद ने कहा, “पुलिसकर्मियों ने खुद वीडियो बनाया और उन्हें सोशल मीडिया पर डाल दिया. एक पुलिस वैन में, उन्हें (पीड़ितों को) थाने से लाया गया, प्रत्येक व्यक्ति को बाहर निकाला गया, पीटा गया और फिर पुलिस वाहन में डाल दिया गया… सार्वजनिक दृष्टि से, यही हुआ. यह पूरी तरह से उल्लंघन है (हिरासत और गिरफ्तारी करते समय पुलिस के लिए सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों का).
याचिकाकर्ताओं की क्या है मांग?
याचिकाकर्ताओं ने मांग की है कि डीके बसु बनाम पश्चिम बंगाल राज्य के मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी निर्देशों की "अवमानना और गैर-अनुपालन" के लिए पुलिस कर्मियों को दंडित किया जाए. याचिकाकर्ताओं ने मांग की है कि अदालत एसपी खेड़ा को "मूल डीवीआर, एसओजी कार्यालय के कैमरे, टोल प्लाजा और रास्ते में लगे ऐसे सभी सीसीटीवी कैमरों को तुरंत जब्त करने का निर्देश दे."
याचिकाकर्ताओं ने कहा है कि 3 अक्टूबर की रात करीब 11 बजे खेड़ा जिले के मातर तालुका के उंधेला गांव में विधायक केसरीसिंह सोलंकी और उनके दल के आने के बाद गरबा उत्सव को लेकर विवाद हो गया. इसके बाद, 11 पुलिसकर्मी, जिन्हें याचिका में प्रतिवादी के रूप में नामित किया गया है साइट पर पहुंचे और "याचिकाकर्ताओं सहित निर्दोष व्यक्तियों" को हिरासत में लिया.
पुलिस पर लगाए ये आरोप
याचिकाकर्ताओं के अनुसार, लगभग 2 बजे, पुलिसकर्मियों ने एक महिला कांस्टेबल की उपस्थिति सुनिश्चित किए बिना मकसूदबानु (याचिकाकर्ताओं में से एक) नाम की महिला के घर में भी प्रवेश किया. याचिका में आरोप लगाया गया है कि मकसूदाबानू को एक पुलिसकर्मी ने पीटा, जिससे वह घायल हो गई. याचिकाकर्ताओं ने कहा कि उन्हें खेड़ा के एसओजी पुलिस स्टेशन ले जाया गया और रात भर हिरासत में रखा गया.
याचिकाकर्ताओं के अनुसार, याचिकाकर्ताओं और पांच अन्य को 4 अक्टूबर को दोपहर के आसपास उंधेला में मस्जिद चौक पर लाया गया, चौक के बीच में एक पोल से बांध दिया गया और भीड़ के सामने 13 पुलिस कर्मियों द्वारा लाठी से पीटा गया. वीडियो रिकॉर्ड किए गए और सार्वजनिक डोमेन में प्रसारित किए गए. याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया है कि पिटाई के बाद अस्पताल ले जाने के उनके अनुरोध को पुलिसकर्मियों द्वारा "पूरी तरह से खारिज" कर दिया गया था.
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