Gujarat High Court: गुजरात हाई कोर्ट ने 2002 के गुजरात दंगों के मामलों में ‘बेगुनाह लोगों’ को फंसाने के लिए कथित रूप से साक्ष्य गढ़ने को लेकर गिरफ्तार सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ की जमानत अर्जी पर बुधवार को राज्य सरकार को नोटिस जारी किया. न्यायमूर्ति इलेश जे वोरा ने राज्य सरकार को नोटिस जारी किया और इस अर्जी पर उसका जवाब मांगा. न्यायालय ने अगली सुनवाई की तारीख 19 सितंबर तय की. सीतलवाड़ एवं पूर्व पुलिस महानिदेशक आर बी श्रीकुमार पर गोधरा कांड के बाद के दंगों के मामलों में ‘बेगुनाह लोगों’ फंसाने के लिए सबूत गढ़ने का आरोप है. दोनों को जून में गिरफ्तार किया गया. उन्हें साबरमती केंद्रीय जेल में रखा गया है. श्रीकुमार ने भी जमानत के लिए उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है.
संजीव भट ने जमानत के लिए नहीं दिया था आवेदन
इस मामले के तीसरे आरोपी पूर्व आईपीएस अधिकारी संजीव भट ने जमानत के लिए आवेदन नहीं दिया था. भट को जब इस मामले में गिरफ्तार किया गया था तब वह किसी अन्य आपराधिक मामले में जेल में थे. तीस जुलाई को सत्र न्यायालय ने सीतलवाड़ और श्रीकुमार की जमानत अर्जियां खारिज कर दी थी जिसके बाद उन्होंने राहत के लिए उच्च न्यायालय की ओर रूख किया.
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क्या है एसआईटी की दलीलें?
एसआईटी ने कोर्ट में बताया था कि सीतलवाड़ और श्रीकुमार दिवंगत कांग्रेस नेता अहमद पटेल के इशारे पर रची गई ‘‘बड़ी साजिश’’ का हिस्सा थे, जिसका मकसद गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली बीजेपी को अस्थिर करना था. आरोप है कि गोधरा के बाद 2002 में भड़के दंगों के बाद पटेल के कहने पर सीतलवाड़ को 30 लाख रुपये मिले थे, जिनका इस्तेमाल इस मकसद के लिए किया गया. एसआईटी ने आरोप लगाया है कि श्रीकुमार ‘‘असंतुष्ट सरकारी अधिकारी’’ थे, जिन्होंने ‘‘निर्वाचित प्रतिनिधियों, नौकरशाही और पूरे गुजरात राज्य के पुलिस प्रशासन को बदनाम करने के लिए प्रक्रिया का दुरुपयोग किया.’’
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