Morbi Bridge: गुजरात उच्च न्यायालय ने मोरबी पुल के रखरखाव और संचालन में शामिल कंपनी को बुधवार को एक नोटिस जारी किया. उच्च न्यायालय द्वारा स्वत: संज्ञान लेते हुए शुरू की गई सुनवाई में कंपनी को प्रतिवादी बनाने के अनुरोध संबंधी याचिका पर यह नोटिस जारी किया गया है. मोरबी पुल अक्टूबर में ढह गया था जिससे 135 लोगों की मौत हो गई थी.मुख्य न्यायाधीश अरविंद कुमार और न्यायमूर्ति आशुतोष शास्त्री की खंडपीठ ने अजंता मैन्युफैक्चरिंग लिमिटेड को उस याचिका पर नोटिस जारी किया, जिसमें कहा गया है कि ‘‘यह (कंपनी) अपराध के लिए अनुकरणीय क्षति के भुगतान के लिए उत्तरदायी है.’’


उच्च न्यायालय ने कहा कि उसने 30 अक्टूबर को पुल ढहने की घटना में 135 लोगों की मौत की खबरों का स्वत: संज्ञान लेते हुए कार्यवाही शुरू की थी. खंडपीठ ने मोरबी नगरपालिका के 46 पार्षदों द्वारा दायर एक आवेदन को भी खारिज कर दिया, जिसमें उन्हें कार्यवाही में पक्ष बनाने का अनुरोध किया गया था क्योंकि उन्हें ऐसी आशंका है कि उच्च न्यायालय द्वारा अपने पिछले आदेश में की गई टिप्पणियों के कारण नगर निकाय को मामले से अलग किया जा सकता है.


स्वत: संज्ञान कार्यवाही पर अगली सुनवाई 19 जनवरी को होगी. आवेदकों संजीव एझावा और दिलीप चावड़ा ने कहा कि हालांकि कंपनी और स्थानीय नगर निकाय के बीच अनुबंध के बारे में कुछ संदेह हो सकता है, लेकिन अदालत में दायर हलफनामों से यह स्पष्ट है कि कंपनी ‘‘उस संरचना के पूरे प्रशासन, मरम्मत, रखरखाव और संचालन को नियंत्रित करती थी.’’ एनडीटीवी ने के अनुसार गुजरात के मोरबी में जिस दिन पुल गिरा था, उस दिन आगंतुकों को 3,165 टिकट बेचे गए थे. मिरर नाउ ने बताया कि पुल की क्षमता एक समय में 150 लोगों की थी और यह जंग खा चुका था.


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