Gujarat High Court: गुजरात हाई कोर्ट ने गुरूवार को पूछा कि राज्य सरकार स्कूलों में पढ़ाए बिना मातृभाषा गुजराती को कैसे संरक्षित रखेगी. अदालत ने कहा कि यह देखा जाता है कि संस्कृति काफी हद तक भाषा से जुड़ी होती है. नवनियुक्त मुख्य न्यायाधीश सोनिया गोकानी ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि नियामक ढांचे के अभाव में स्कूलों में गुजराती भाषा की पढ़ाई सुनिश्चित करने का प्रयास ‘व्यर्थ’ है.


सरकार ने दिया आश्वासन
सरकार ने अदालत को आश्वासन दिया कि वह छात्रों के बीच गुजराती भाषा को बढ़ावा देने की नीति को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए एक नियामक तंत्र स्थापित करेगी. सरकार ने यह भी कहा कि राज्य के स्कूलों को आवश्यकता के बारे में अवगत कराया जा रहा है. मुख्य न्यायाधीश गोकानी ने कहा, ‘‘अगर आप इस पर गौर करें तो यह एक प्रमुख मुद्दा है. यह (गुजराती) भी हमारे संविधान की भाषाओं में से एक है. आप इसे स्कूलों में पढ़ाए बिना कैसे संरक्षित करने जा रहे हैं? संस्कृति काफी हद तक भाषा से जुड़ी होती है.’’


न्यायमूर्ति सोनिया गोकाणी ने ली शपथ
न्यायमूर्ति सोनिया गोकाणी ने गुजरात हाई कोर्ट की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ली. न्यायमूर्ति गोकाणी 25 फरवरी को सेवानिवृत्त होने वाली थीं. राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने गांधीनगर स्थित राजभवन में न्यायमूर्ति गोकाणी को पद की शपथ दिलाई. इस मौके पर विधानसभा अध्यक्ष शंकर चौधरी, उच्चतम न्यायालय की न्यायाधीश न्यायमूर्ति बेला त्रिवेदी, मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल और राज्य के कानून एवं न्याय मंत्री ऋषिकेश पटेल मौजूद थे.


न्यायमूर्ति गोकाणी की नियुक्ति को केंद्र ने 12 फरवरी को मंजूरी दी थी और वह 13 फरवरी से मुख्य न्यायाधीश (नामित) के रूप में सेवा दे रही थीं. उनकी नियुक्ति न्यायमूर्ति अरविंद कुमार को उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किए जाने के बाद हुई. गुजरात उच्च न्यायालय की 28वीं मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ लेने वाली न्यायमूर्ति गोकाणी 25 फरवरी को सेवानिवृत्त होंगी और उनका कार्यकाल सबसे छोटा होगा.


गुजरात के जामनगर में 26 फरवरी 1961 को जन्मी गोकाणी को 17 फरवरी, 2011 को गुजरात उच्च न्यायालय के अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया गया और 28 जनवरी, 2013 को वह स्थायी न्यायाधीश के रूप में नियुक्त हुईं. वह 10 जुलाई, 1995 को अहमदाबाद में शहर की दीवानी और सत्र अदालत में एक न्यायाधीश के रूप में सीधे न्यायपालिका में शामिल हुईं और कई दीवानी और आपराधिक मामलों की सुनवाई की.


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