Gujarat News: शुक्रवार को सौराष्ट्र के गिर, बरदा और आलेच के जंगल के रबारी समुदाय के वकील ने गुजरात हाईकोर्ट से अनुसूचित जनजाति प्रमाण पत्र पर जल्द से जल्द सुनवाई का अनुरोध किया. इनके अनुसार राज्य सरकार ने पिछले दो साल से एक भी जाति प्रमाण पत्र जारी नहीं किया है, जिससे इस समुदाय के छात्रों का भविष्य खतरे में आ गया है. बीते शुक्रवार को रबारी समुदाय के जनजाति प्रमाण पत्र के लिये मुख्य न्यायाधीश अरविंद कुमार और जज आशुतोष शास्त्री की बेंच को सनवाई करनी थी, लेकिन राज्य सरकार इस पर सुनवाई के लिये और समय मांगा है.


गलत तरीके से आरक्षण का लाभ मिल रहा


गुजरात के पूर्वी हिस्से के आदिवासियों का प्रतिनिधित्व करने वाले कुछ एनजीओ ने जनजातियों के अलावा किसी अन्य समुदाय को एसटी जाति प्रमाण पत्र जारी करने की प्रक्रिया को चुनौती दी है. उन्होंने शिकायत किया कि सरकार गलत तरीके अंधाधुंध जाति प्रमाण पत्र जारी कर रहा है, जो अनुसूचित जाति के नहीं हैं, उन्हें भी शिक्षा और नौकरी में गलत तरीके से आरक्षण का लाभ मिलता है. इस तरह के जाति प्रमाण पत्र से चिकित्सा पाठ्यक्रमों और सरकारी नौकरी लेने वाले छात्रों के लिए राज्य सरकार ने जांच कमेटी का गठन किया है. 


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कोर्ट ने सुनवाई की तरीख तय की


रबारी समुदाय के वकील ने 1956 में सौराष्ट्र वन क्षेत्र के रबारी समुदाय को अनुसूचित जनजाति के रूप में माने जाने का साक्ष्य प्रस्तुत किया. विवाद होने के बाद राज्य सरकार ने छात्रों को जाति प्रमाण पत्र देना बंद कर दिया, हलांकि इन छात्रों के परिवार के सदस्यों को पास जाति प्रमाण पत्र हैं. इस मामले में देरी से सुनवाई होने पर छात्रों को एडमिशन नहीं हो पाने का नुकसान उठाना पड़ेगा. हाईकोर्ट ने इस मामले की सुनवाई के लिये 30 जून की तारीख तय की है.


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