Gujarat High Court Update: गुजरात हाई कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि सरकारी स्कूलों के बुनियादी ढांचे में सुधार के लिए राज्य के अधिकारियों द्वारा उठाए गए कदम न केवल संतोषजनक हैं, बल्कि लगभग निजी संस्थानों के समान हैं. मुख्य न्यायाधीश अरविंद कुमार और न्यायमूर्ति आशुतोष शास्त्री की पीठ ने कोर्ट द्वारा स्वत: संज्ञान ली गई जनहित याचिका के जवाब में सरकार के हलफनामे में दिए गए विवरण के आधार पर यह टिप्पणी की. हलफनामे में स्कूल भवनों और खेल के मैदानों और शौचालयों जैसी बुनियादी सुविधाओं के बारे में बताया गया है.
कोर्ट ने स्वतः लिया था संज्ञान
कोर्ट ने छोटा उदयपुर जिले के वागलवाड़ा गांव में एक स्कूल की इमारत के ढहने और महिसागर जिले के प्रतापपुरा में एक स्कूल की इमारत के कुछ हिस्सों के गिरने और कुछ छात्रों के इस घटना में घायल होने के बारे में अखबार की एक खबर के आधार पर मामले का स्वत: संज्ञान लिया था.
पीठ ने कहा कि हलफनामे में दिए गए विवरण से पता चलता है कि कक्षाएं संचालित करने के लिए भवन समेत पीने के पानी, शौचालय, खेल के मैदान जैसी बुनियादी सुविधाएं जिला, तालुका स्तर पर प्रदान की गई हैं. कोर्ट ने कहा कि महाधिवक्ता ने आश्वासन दिया है कि विद्या समीक्षा केंद्र, समग्र शिक्षा केंद्र या गुजरात स्कूल शिक्षा परिषद के संज्ञान में लाए जाने पर बुनियादी ढांचे में किसी भी तरह की कमी को दूर किया जाएगा.
कोर्ट ने सराहा
सरकार ने कोर्ट को सूचित किया कि वागलवाड़ा में एक पक्का भवन बनाया गया है और प्रतापपुरा के स्कूल के संबंध में आवश्यक निर्देश जारी किए गए हैं. कोर्ट ने कहा कि वह ‘‘न केवल राज्य द्वारा उठाए गए कदमों से संतुष्ट है, बल्कि इस तरह की कमियों का उल्लेख किए जाने पर उठाए गए तत्काल कदमों के लिए सराहना भी करती है.’’
हलफनामे के अनुसार आंकड़ों की जानकारी
अतिरिक्त सचिव द्वारा दाखिल हलफनामे के अनुसार 47,07,846 छात्रों के साथ कुल 32,319 सरकारी स्कूल हैं. लगभग सभी स्कूलों में शौचालय की व्यवस्था और पीने के पानी की आपूर्ति है, वहीं कम से कम 6,443 में खेल के मैदान नहीं हैं. हलफनामे के अनुसार पहली कक्षा से 8वीं तक छात्रों के स्कूल छोड़ने का अनुपात, जो 2004-05 में लगभग 18.79 फीसदी था, 2021 में घटकर 3.07 फीसदी हो गया.
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