Ahmedabad Crime News: गुजरात हाई कोर्ट (High Court) ने मंगलवार को एक मामले में सुनवाई करते हुए कहा कि किसी अनजान महिला का नाम पूछना यौन उत्पीड़न (Sexual Harrassment) की श्रेणी में नहीं आता है. दरअसल, यहां एक व्यक्ति के खिलाफ पुलिस ने एक अज्ञात महिला का नाम और नंबर पूछने पर केस दर्ज किया था. कोर्ट इसी मामले में सुनवाई कर रही थी. 


टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक यहां एक महिला ने समीर रॉय नाम के व्यक्ति के खिलाफ शिकायत की थी. उसने कहा था कि समीर ने उसका नाम, पता और मोबाइल नंबर मांगा था. महिला ने धारा 21 के तहत अप्रैल में शिकायत दर्ज कराई थी. इसके बाद युवक पर आईपीसी की धारा 354 ए भी लगा दी गई थी. जिस मामले में 16 जुलाई को सुनवाई की गई. 


हिरासत में किया गया था प्रताड़ित
उधर, समीर रॉय ने कोर्ट को बताया कि उसके खिलाफ यह केस तब बनाया गया जब उसने पुलिस के खिलाफ अत्याचार करने के आरोप लगाए थे. समीर ने कहा कि पुलिस ने उसका फोन ले लिया था और उसका कुछ डेटा डिलीट कर दिया था.


युवक ने अलग-अलग जगह की थी शिकायत
इसके बाद उसने अलग-अलग फोरम में पुलिस के खिलाफ शिकायत कर एक्शन की मांग की थी. समीर रॉय ने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल आरोप लगाया था कि हिरासत में उसे टॉर्चर किया गया. और एक्शन की मांग की थी. समीर ने कोर्ट को यह भी बताया कि 9 मई को उसे एफआईआर की जानकारी मिली. उसके खिलाफ एफआईआर ठीक एक दिन बाद हुई जिस दिन उसे टॉर्चर किया गया था.


मामले में सुनवाई करते हुए जस्टिस निर्झर देसाई ने कहा कि ''अगर कोई किसी का नंबर मांगता है तो वह ऑफेंडिग है लेकिन यह एफआईआर के लायक नहीं है. क्या इसमें कोई गलत मंशा दिखती है? निश्चित रूप से यह एक गलत एक्ट हो सकता है लेकिन पहली नजर में, कोर्ट का यह मानना है कि अगर धारा 354 को देखें तो यह यौन उत्पीड़न के संबंध में और सजा के बारे में बात करती है.'' कोर्ट ने कहा कि अगर एफआईआर को सच भी मान लिया जाए तो अज्ञात महिला का नाम और पता पूछना अनुचित रवैया हो सकता लेकिन यह यौन उत्पीड़न नहीं है.''


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