Gujarat HC: गुजरात हाईकोर्ट ने बुधवार को स्वच्छ भारत अभियान के तहत शौचालय निर्माण की योजना के क्रियान्वयन पर राज्य सरकार से जांच रिपोर्ट मांगी. यह एक जनहित याचिका के बाद उत्तरी गुजरात के एक गांव में योजना के क्रियान्वयन में कथित घोटाले के बाद हुआ है.


क्या है पूरा मामला?


याचिकाकर्ता शुभभाई राठौड़ ने एक जनहित याचिका दायर कर आरोप लगाया था कि बनासकांठा जिले के देवदार तालुका के छिबडा गांव में एक एजेंसी को शौचालय बनाने का ठेका दिया गया था. एजेंसी को उन 360 इकाइयों में से प्रत्येक के लिए 12,000 रुपये का भुगतान किया गया था, जिनके बारे में उसने दावा किया था कि उसने 2015 और 2020 के बीच गांव में शौचालयों का निर्माण किया था.


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जनहित याचिका में आरोप लगाया गया कि पूरी राशि का गबन कर लिया गया और याचिकाकर्ता ने कथित घोटाले के लिए कार्रवाई की मांग की. उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार के आश्वासन के बाद राठौड़ की जनहित याचिका का निपटारा किया कि इस मामले की जांच के लिए एक जांच समिति गठित की जाएगी. जिसके बाद देवदार तालुका विकास अधिकारी ने एक समिति का गठन किया, जो कभी भी कोई जांच रिपोर्ट के साथ सामने नहीं आई.


"अगर एक गांव में यह स्थिति है, तो पूरे राज्य में क्या स्थिति होगी?"


इस निष्क्रियता के कारण राठौड़ ने फिर से उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया और उनके वकील जितेंद्र मलकान ने उन परिस्थितियों की ओर इशारा किया जिनके कारण मामले का निपटारा हुआ था. मामले की सुनवाई के बाद चीफ जस्टिस अरविंद कुमार और जस्टिस आशुतोष शास्त्री की बेंच ने कहा कि इससे मुकदमे का दायरा गांव से बढ़कर गांव तक पहुंच जाएगा. न्यायाधीश ने छिबडा गांव की स्थिति का जिक्र करते हुए कहा, "अगर एक गांव में यह स्थिति है, तो पूरे राज्य में क्या स्थिति होगी?"


हाईकोर्ट ने 7 जून तक गाइडलाइन के अनुसार योजना पर जांच रिपोर्ट मांगी है. कोर्ट द्वारा रिपोर्ट मांगे जाने के बाद याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि राज्य स्तरीय जांच के लिए जांच समितियों के गठन का आदेश होना चाहिए. ऐसा इसलिए है क्योंकि देवदर टीडीओ ने जांच का आदेश गांव स्तर पर ही दिया था.


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