Vadodara Harni Boat Accident: गुजरात उच्च न्यायालय ने सोमवार को हरनी नाव हादसे पर वडोदरा नगर निगम (वीएमसी) की खिंचाई करते हुए जलाशयों के प्रबंधन के लिए एक नीति बनाने और ऐसी घटनाओं के मामले में अधिकारियों की जवाबदेही तय करने को कहा. अठारह जनवरी को वडोदरा की हरनी झील में छात्रों और शिक्षकों को पिकनिक पर ले जा रही एक नाव पलट गई थी. इस हादसे में 12 छात्रों और दो शिक्षकों की मौत हो गई, जबकि 18 छात्रों और दो शिक्षकों को बचा लिया गया था.


कोर्ट ने खुद से लिया संज्ञान
घटना पर स्वत: संज्ञान जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश सुनीता अग्रवाल और न्यायमूर्ति अनिरुद्ध पी. माई की खंडपीठ ने कहा कि जब तक ऐसी घटना नहीं होती, लोग ‘‘इनकार की स्थिति’’ में रहते हैं, सोचते हैं कि ऐसा कभी नहीं होगा. जब नगर निकाय के वकील ने घटना के बाद उठाए गए कदमों के बारे में अदालत को बताया तो पीठ ने कहा, ‘‘आपने (वीएमसी) घटना के बाद सैकड़ों सुधारात्मक कदम उठाए होंगे, लेकिन यह पर्याप्त नहीं है. हम जानना चाहते हैं कि आप घटना से पहले कैसे काम कर रहे थे, और क्या निगम में कोई जवाबदेह है या नहीं?’’


कोर्ट ने कही ये बात
अदालत को सूचित किया गया कि नगर निकाय ने हादसे से पहले झील का प्रबंधन करने वाले निजी ठेकेदार को घटना से पहले दो बार नोटिस जारी किए थे. इस पर अदालत ने जानना चाहा कि निर्देशों का पालन करने में विफल रहने के बाद भी ठेकेदार को काम करने की अनुमति क्यों दी गई. अदालत ने मौखिक टिप्पणी की, ‘‘यह निगम की ओर से केवल एक दिखावा है. हम निगम का हलफनामा भी तलब करेंगे. नगर निगम आयुक्त इसके लिए जवाबदेह हैं क्योंकि यह वीएमसी के अधिकार क्षेत्र में है.’’ न्यायमूर्ति अग्रवाल ने कहा कि नगर निकायों द्वारा मनोरंजन के उद्देश्य के लिए जलाशयों का उपयोग करना गलत नहीं है, लेकिन अगर उन्हें इस उद्देश्य के लिए निजी व्यक्तियों को दिया जाता है तो ‘‘कुछ निर्देश, जवाबदेही और निगरानी होनी चाहिए.’’


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