Jain Muni Acharya Vijay Yogatilak Surishwarji Maharaj: गुजरात में 11 साल के एक लड़के और एक धनवान दंपति सहित जैन समाज के 35 लोग 22 अप्रैल को गृहस्थ जीवन छोड़कर दीक्षा लेंगे और जैन भिक्षु बन जाएंगे. एक धार्मिक न्यास ने यह जानकारी दी.


गुजरात और महाराष्ट्र के जैन समुदाय के सदस्यों के लिए पांच दिवसीय दीक्षा समारोह गुरूवार को साबरमती रिवरफ्रंट पर ‘अध्यात्म नगरी’ में शुरू हुआ जो 22 अप्रैल को समाप्त होगा. सूरत से संचालित न्यास श्री अध्यात्म परिवार ने एक विज्ञप्ति में बताया कि 35 लोग जैन मुनि आचार्य विजय योगतिलकसूरीश्वरजी महाराज से दीक्षा लेंगे.


विज्ञप्ति में कहा गया है कि 35 लोगों में दस की उम्र 18 साल से कम है. इनमें भी सबसे छोटा 11 साल का लड़का है. भिक्षुक बनने वाले किशोरों में सूरत के 13 वर्षीय हेत शाह भी हैं. हेत ने 'उपधान तप' करने के लिए लगभग दो साल पहले अपनी पढ़ाई छोड़ दी थी. इसके तहत व्यक्ति को 47 दिन तक घर से दूर एक संन्यासी की तरह रहना पड़ता है.


हेत की मां रिम्पल शाह ने बताया, ‘‘उसे स्कूल और आध्यात्मिक गतिविधियों में संतुलन बनाने में कठिनाई हो रही थी इसलिए उसने हमारे गुरुओं के साथ रहने के लिए लगभग दो साल पहले अपनी पढ़ाई छोड़ दी. फिर उसने सांसारिक जीवन से दूर रहने की इच्छा व्यक्त की. वह हमारी इकलौती संतान है, लेकिन हमने उसकी इच्छा को स्वीकार किया क्योंकि हम मानते हैं कि एक भिक्षु के जीवन से बेहतर कुछ भी नहीं है.’’


दीक्षा समारोह के दौरान पांच दंपति भी अपना कारोबार बंद और घर छोड़कर सांसारिक जीवन का त्याग करेंगे और दीक्षा ग्रहण करेंगे. अहमदाबाद के कारोबारी भावेश भंडारी (46) और उनकी पत्नी जीनल (43) अपने बच्चों का अनुकरण करते हुए रियल एस्टेट का कारोबार छोड़ दीक्षा ग्रहण करेंगे. भंडारी का बेटा और बेटी ने 2021 में दीक्षा ली थी.


भावेश ने कहा, ‘‘हमने देखा कि हमारे बच्चे किस तरह भिक्षुक के तौर पर प्रसन्न जीवन बिता रहे हैं. यह गलत धारणा है कि हम बिना पैसे एवं सुख सविधाओं के खुशी से जीवन नहीं बिता सकते. हमारे गुरुओं की दीक्षा ने भी हमें यह फैसला लेने में मदद की. अब मेरे पिता एवं बड़े भाई मेरे कारोबार को देखेंगे.’’


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