Statue of Unity: गुजरात के केवड़िया इलाके के आदिवासी निवासियों ने स्टैच्यू ऑफ यूनिटी देखने आने वाले पर्यटकों के खिलाफ असहयोग आंदोलन शुरू करने की धमकी दी है. केवड़िया बचाओ आंदोलन समिति के सदस्यों ने मुख्यमंत्री को संबोधित और डिप्टी कलेक्टर को सौंपे ज्ञापन में ग्यारह शिकायतों को सूचीबद्ध किया है. उन्होंने कहा है कि यदि इनका समाधान नहीं किया जाता है तो वे शनिवार और रविवार को असहयोग आंदोलन शुरू करेंगे, क्योंकि सप्ताह के इन्हीं दो दिन स्टैच्यू ऑफ यूनिटी देखने बड़ी संख्या में पर्यटक आते हैं.
सरकार द्वारा किए गए अधूरे वादों का उठाया मुद्दा
केवड़िया के आदिवासी नेताओं ने कहा कि अगर आदिवासी असहयोग आंदोलन शुरू करते हैं तो इसका सीधा असर राज्य के पर्यटन से होने वाले राजस्व पर पड़ेगा. ज्ञापन में उन्होंने नर्मदा बांध से प्रभावित लोगों से सरकार द्वारा किए गए अधूरे वादों का मुद्दा उठाया है. एक साल के लंबे आंदोलन के बाद सरकार ने विस्थापितों के पुनर्वास और उनकी मांगों को पूरा करने का वादा किया था. आदिवासियों का आरोप है कि वादे किए पांच साल हो गए लेकिन एक भी पूरा नहीं हुआ है.
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इको सेंसिटिव जोन अधिसूचना रद्द करने की मांग
उन्होंने कहा है कि राज्य सरकार को 121 गांवों को प्रभावित करने वाले इको सेंसिटिव जोन अधिसूचना रद्द करनी चाहिए, क्योंकि ग्रामीण इस योजना का विरोध कर रहे हैं. स्टैच्यू ऑफ यूनिटी डेवलपमेंट अथॉरिटी ने पिछले कुछ वर्षो में कई आदिवासी युवाओं की छंटनी की है और सरकार को उन्हें बहाल करना चाहिए.समिति ने यह भी मांग की है कि सरकार केवड़िया में कौशल विकास कार्यक्रम शुरू करे ताकि युवाओं को रोजगार मिले. उन्होंने रेलवे स्टेशन का नाम एकतानगर से केवड़िया रेलवे स्टेशन करने की भी मांग की है. उनका तर्क है कि केवड़िया नाम स्थानीय लोगों का गौरव है.
दर्ज मामले वापस लेने की कही बात
समिति के नेता प्रफुल्ल वसावा ने यह भी मांग की है कि जिस तरह पाटीदार अनामत आंदोलन के दौरान पाटीदारों के खिलाफ दर्ज मामले राज्य सरकार ने वापस ले लिए हैं, उसी तरह राज्य सरकार को 2017 से 2022 के बीच आदिवासियों के खिलाफ दर्ज मामलों को वापस लेना चाहिए.
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