Lumpy Skin Disease in Gujarat: गुजरात में मवेशियों को प्रभावित करने वाले एक वायरल संक्रमण लम्पी स्किन डिजीज (एलएसडी) के खतरनाक प्रसार के बीच गुजरात सरकार ने 15 जिलों को 'कंट्रोलड एरिया' (Controlled Area) घोषित किया है. उप सचिव (पशुपालन) डॉ. के एन त्रिवेदी द्वारा जारी एक अधिसूचना में कहा गया है कि अब इन जिलों से मवेशियों को नहीं ले जाया जा सकता है, मतलब इन इलाकों के मवेशियों को कहीं भी बाहर ले जाने के लिए मना कर दिया गया है, ताकि वायरस और दूसरे जानवरों में ना फैले.
सरकार ने इन जिलों को "कंट्रोलड एरिया" घोषित किया
गुजरात सरकार ने अमरेली, बनासकांठा, भावनगर, बोटाद, देव-भूमि द्वारका, गिर-सोमनाथ, जामनगर, जूनागढ़, कच्छ, मोरबी, पोरबंदर, राजकोट, सुरेंद्रनगर और पाटन जिलों को "कंट्रोलड एरिया" घोषित किया है. राज्य सरकार ने इन सभी जिला प्रशासनों को निर्देश दिया है कि उक्त जिलों के भीतर और बाहर किसी भी अन्य स्थान पर मवेशियों की आवाजाही पर रोक लगाई जाए.
जानवरों को दफनाने के लिए मांगी गई जमीन
इस बीच कच्छ में गांधीधाम नगर पालिका ने दीनदयाल पोर्ट ट्रस्ट (डीपीटी) से जमीन लिया ताकि क्षेत्र में लम्पी स्किन डिजीज (एलएसडी) से जो जानवर मर रहे हैं उसे अलग से दफनाया जा सके. नगर पालिका की अध्यक्ष इशिता तिलवानी ने कहा, "गांधीधाम और आदिपुर से हर दिन लगभग 80 शव मौजूदा दफन स्थल पर पहुंचते हैं और हमारे पास जगह की कमी हो रही है. गांधीधाम शहर की सारी जमीन केपीटी (KPT) की है और इसलिए हमने उनसे जानवरों को दफनाने एक लिए जगह की मांग की है."
'लोगों को स्वास्थ्य जोखिम का डर'
तिलवानी ने आगे कहा कि प्रतिनिधित्व ने शहर के बाहरी इलाके में जमीन की भी मांग की है क्योंकि मानव आवास के पास ऐसे स्थलों को निवासियों के विरोध का सामना करना पड़ता है. "अगर बीमार जानवरों को जमीन में दफनाया जाता है तो लोगों को स्वास्थ्य जोखिम का डर होता है." गांधीधाम चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के अध्यक्ष तेजा कंगड़ ने कहा, "चैम्बर ने गंभीर स्थिति को देखते हुए डीपीटी से जमीन मांगने में नगरपालिका के साथ हाथ मिलाया है. मृत जानवरों को दफनाने के लिए जगह की कमी है और तत्काल नए जगह की जरूरत है."
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