Lumpy Skin Disease: गुजरात में 'ढेलेदार त्वचा रोग' पर लगाम लगाने की कोशिश, एनडीडीबी ने कराई वैक्सीन की आपूर्ति
Lumpy Skin Disease Symptoms: गुजरात में लम्पी स्किन डिजीज से अब तक 1600 से अधिक मवेशियों की मौत हो चुकी है. इसकी रोकथाम के लिए एनडीडीबी ने गुजरात में गॉटपॉक्स वैक्सीन उपलब्ध कराई है.
Lumpy Skin Disease Vaccine: देश में मवेशियों को प्रभावित करने वाले लम्पी स्किन डिजीज (एलएसडी) से निपटने के लिए राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (एनडीडीबी) ने गुजरात समेत कई राज्यों को गॉटपॉक्स के टीके की 28 लाख खुराकें दी है. एनडीडीबी के अध्यक्ष मीनेश शाह ने आणंद में बोर्ड मुख्यालय में मीडिया से बातचीत के दौरान कहा, “हमारे पास इंडियन इम्यूनोलॉजिकल्स लिमिटेड नामक एक सहायक कंपनी है, जो वैक्सीन बनाती है.
गुजरात को कितनी वैक्सीन मिली?
हमने पिछले 15 दिनों में 28 लाख गॉटपॉक्स वैक्सीन खुराक की आपूर्ति कराई है, जिसमें गुजरात के लिए 10 लाख टीके की खुराक शामिल हैं.” उन्होंने आगे कहा, "एनडीडीबी और जीसीसीएमएफ (गुजरात को-ऑपरेटिव मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन) दोनों ही हेस्टर बायोसाइंसेज से टीके खरीद रहे हैं." “प्रत्येक टीके की कीमत 3 रुपये है. बीमारी का मुकाबला करने का सबसे अच्छा तरीका जानवरों का टीकाकरण है. कुछ ही समय में रोग नियंत्रण में हो जाएगा."
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अब तक कितने मवेशियों की मौत हो चुकी है?
अकेले गुजरात में ढेलेदार त्वचा रोग के कारण 1,600 से अधिक मवेशियों की मौत हो चुकी है और 58,000 जानवर इस वायरस से संक्रमित हुए हैं. सरकार अब तक 12.75 लाख मवेशियों का टीकाकरण कर चुकी है. गुजरात में ढेलेदार त्वचा रोग के कारण दूध की खरीद में कमी के बारे में बात करते हुए, जीसीएमएमएफ के प्रबंध निदेशक आरएस सोढ़ी ने कहा, “कमी हमारी दैनिक खरीद का सिर्फ 0.25 फीसदी है. हम कच्छ से दूध की खरीद में प्रतिदिन 50,000 लीटर की गिरावट देख रहे हैं.”
यहां मरने वाले मवेशियों की संख्या अधिक
सोढ़ी ने कहा कि पंजरापोल जैसे पशु-आश्रय में संक्रमित मवेशियों की मृत्यु दर अधिक है, जहां पर्याप्त पोषण और चिकित्सा देखभाल सुविधाओं की कमी है. उन्होंने कहा, "मौतें खेतों में नहीं हो रही हैं." यह पूछे जाने पर कि क्या एनडीडीबी संक्रमित मवेशियों से मनुष्यों को प्रभावित करने वाले दूध का कोई उदाहरण देख रहे हैं, इसपर मीनेश शाह ने कहा, “आम तौर पर यह कई अन्य बीमारियों के विपरीत जूनोटिक नहीं है. लेकिन सुरक्षा कारणों से हम लोगों से पाश्चुरीकृत दूध या उबला हुआ दूध पीने के लिए कह रहे हैं.
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