Lumpy Skin Disease: गुजरात में 'लम्पी स्किन डिजीज' का दूध के उत्पादन पर दिखा असर, कंपनी को हो रहा नुकसान
Gujarat Milk Production: गुजरात के कई जिलों में मवेशियों में लम्पी स्किन डिजीज का कहर जारी है. इसके कारण गुजरात में दूध उत्पादन पर बुरा असर पड़ रहा है और कंपनी को नुकसान हो रहा है.
Lumpy Skin Disease: ढेलेदार त्वचा रोग (एलएसडी) के फैलने से गुजरात में गाय के दूध का उत्पादन बुरी तरह प्रभावित हुआ है. घरेलू डेयरी कंपनी अमूल को मुख्य रूप से कच्छ और सौराष्ट्र में अपने दूध संघों के माध्यम से की जाने वाली दूध खरीद में प्रतिदिन 50,000 लीटर का नुकसान हुआ है. हालांकि यह कमी तत्काल चिंताजनक नहीं है, लेकिन उम्मीद है कि अगर इस वायरस पर काबू नहीं पाया गया तो अगली गर्मियों में दुग्ध उद्योग को बड़ा झटका लगेगा. गुजरात को-ऑपरेटिव मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन (CCMMF) और उसके 18 दुग्ध संघ के सदस्यों द्वारा प्रतिदिन कुल दो करोड़ लीटर दूध खरीदा जा रहा है, जिसमें से 42 फीसदी गाय का दूध है.
जीसीएमएमएफ के प्रबंध निदेशक ने दी जानकारी
जीसीएमएमएफ के प्रबंध निदेशक आरएस सोढ़ी के मुताबिक, "दूध खरीद की मात्रा में 50,000 लीटर प्रति दिन (एलपीडी) की गिरावट आई है, लेकिन अभी यह ज्यादा नहीं है. इस बीमारी का असर सौराष्ट्र में ज्यादा देखने को मिल रहा है. उत्तर, मध्य और दक्षिण गुजरात क्षेत्रों की तुलना में कच्छ में केवल छिटपुट मामले दर्ज किए गए हैं."
जीसीएमएमएफ के उपाध्यक्ष और सरहद डेयरी के अध्यक्ष के अनुसार, सबसे गंभीर रूप से प्रभावित जिला कच्छ है, जिसमें पशुधन की सबसे बड़ी आबादी है. इस बीमारी के बाद गाय के दूध संग्रह का उत्पादन प्रति दिन 15,000 से 20,000 लीटर कम हो गया है.
सरहद डेयरी के अध्यक्ष ने दी जानकारी
सरहद डेयरी के अध्यक्ष के अनुसार, एलएसडी से उबरने वाली गाय के दूध उत्पादन में 50-70 फीसदी की कमी होती है. उन्होंने कहा, "अगर एलएसडी को नियंत्रित नहीं किया गया तो हमें निकट भविष्य में गुजरात में गाय के दूध के संकट का डर है. तनाव में किसी भी जानवर का उनके दूध उत्पादन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा."
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