Gujarat News: गुजरात में शहीद सैनिक के परिवार को डाक से भेजा गया 'शौर्य चक्र', परिजनों ने लेने से किया इंकार
Lance Naik Gopal Singh Bhadauria: गुजरात में एक शहीद बेटे के परिवार को डाक से 'शौर्य चक्र' वीरता पुरस्कार भेजा गया है. परिवार ने इसे लेने से मना कर दिया है. परिवार ने इसे अपने बेटे का अपमान बताया है.
Shaurya Chakra Heroism Award: एक शहीद सैनिक के परिजनों ने गुजरात स्थित उनके घर पर डाक द्वारा भेजे गए 'शौर्य चक्र' वीरता पुरस्कार को स्वीकार करने से इनकार कर दिया. परिजनों ने इसे अपने शहीद बेटे लांस नायक गोपाल सिंह भदौरिया का ‘अपमान’ बताया. जम्मू-कश्मीर में पांच साल पहले आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ में भदौरिया ने अपने प्राणों की आहुति दे दी थी. भदौरिया के पिता मुनीम सिंह ने पांच सितंबर को डाक से भेजे गये 'शौर्य चक्र' वीरता पुरस्कार को लौटा दिया, जो उनके बेटे के फरवरी 2017 में शहीद होने के एक साल बाद मरणोपरांत दिया गया था.
परिजनों ने सामने रखी ये मांग
अहमदाबाद शहर के बापूनगर इलाके में रहने वाले सिंह ने मांग की कि देश का तीसरा सबसे बड़ा वीरता पुरस्कार नयी दिल्ली में राष्ट्रपति भवन में एक समारोह में परिवार को सौंपा जाए. सिंह ने बताया कि ‘‘सेना डाक के माध्यम से पदक नहीं भेज सकती है. यह न केवल प्रोटोकॉल का उल्लंघन है, बल्कि एक शहीद और उसके परिवार का भी अपमान है. इसलिए मैंने पदक वाले पार्सल को स्वीकार नहीं किया और यह कहते हुए इसे वापस कर दिया कि मैं इसे स्वीकार नहीं कर सकता.’’ भदौरिया 33 वर्ष की उम्र में शहीद हो गये थे. अशोक चक्र और कीर्ति चक्र के बाद शौर्य चक्र तीसरा सबसे बड़ा शांतिकालीन वीरता पुरस्कार है.
क्या होता है शौर्य चक्र?
शौर्य चक्र एक भारतीय सैन्य अलंकरण है जो दुश्मन के साथ सीधी कार्रवाई में शामिल न होने पर वीरता, साहसी कार्रवाई या आत्म-बलिदान के लिए दिया जाता है. यह नागरिकों के साथ-साथ सैन्य कर्मियों को भी कभी-कभी मरणोपरांत प्रदान किया जा जाता है. यह आम तौर पर काउंटर-इनसर्जेंसी ऑपरेशन और शांति-काल के दौरान दुश्मन के खिलाफ कार्रवाई के लिए दिया जाता है. यह वीरता पुरस्कारों की वरीयता के क्रम में तीसरा है..
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