Morbi Bridge Compensation: गुजरात हाई कोर्ट ने कहा कि 2022 में ढह गए मोरबी सस्पेंशन ब्रिज के संचालन और रखरखाव के लिए जिम्मेदार ओरेवा ग्रुप से कहा कि जिन परिवारों ने अपने कमाने वालों को खो दिया उनके परिजनों को नौकरी या मासिक आर्थिक सहायता प्रदान करने का आदेश दिया है. मुख्य न्यायाधीश सुनीता अग्रवाल और जस्टिस अनिरुद्ध मायी की खंडपीठ हादसे पर स्वत: संज्ञान जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी.
पीठ ने कंपनी को हादसे में घायल हुई एक 23 वर्षीय महिला को मुंबई के परेल या लोअर परेल इलाके में दो बेडरूम का एक फ्लैट खरीदकर देने का आदेश भी दिया. यह महिला वर्तमान में बांद्रा-कुर्ला कांप्लेक्स में एक कंपनी में काम करती है. शुक्रवार (22 मार्च) को सुनवाई के दौरान बेंच ने पीड़ितों को मुआवजा देने और उनके पुनर्वास की देखरेख करने के लिए सरकार और कंपनी को ट्रस्ट बनाने की प्रक्रिया में तेजी लाने के निर्देश भी दिए.
कोर्ट ने क्या कहा?
हादसे के कारण पूर्ण या आंशिक दिव्यांग लोगों के पुनर्वास के संबंध में बेंच ने कहा कि इन लोगों को स्थायी तौर पर अपनाया जाए. जीवनभर इन लोगों की देखभाल करनी होगी, क्योंकि यह सब उनका (ओरेवा) किया धरा है. वहीं वकील कमल त्रिवेदी ने बेंच को जानकारी दी कि विधवा हुई 10 महिलाओं में से चार ने ओरेवा में नौकरी का ऑफर मान लिया है.
बेंच को दो परिवारों के बारे में भी अवगत कराया गया, जिन्होंने हादसे में अपने कमाऊ सदस्य को खो दिया है और उनकी छह बेटियां हैं, जिनमें पांच नाबालिग हैं. कोर्ट ने कंपनी से इन बच्चों की पढ़ाई और उकी बुनियादी सुविधाओं सहित अन्य खर्चों को पूरा करने के लिए अतिरिक्त वित्तीय सहायता प्रदान करने का आदेश दिया.
मुख्य आरोपी जयसुख पटेल को मिली जमानत
बेंच ने कहा घायल पीड़ितों के पुनर्वास पर भी काम करें, ताकि वह स्वतंत्र रूप से रह सकें. मुख्य न्यायाधीश अग्रवाल ने कहा कि अगर नौकरी नहीं है तो मासिक आर्थिक सहायता दें. वहीं सुप्रीम कोर्ट ने हादसे के मुख्य आरोपी जयसुख पटेल को जमानत दे दी है. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद जयसुख पटेल 14 महीने बाद बाहर आएंगे.
अक्टूबर 2022 में मोरबी के गिरने के बाद जयसुख पटेल काफी समय तक फरार रहे थे. जनवरी 2023 में उन्होंने कोर्ट में सरेंडर किया था. इस पुल का नवीनीकरण औरेवा समूह द्वारा किया गया था. इसीलिए पुलिस ने जांच के बाद ओरेवा समूह के एमडी जयसुख पटेल इस मामले में मुख्य आरोपी बनाया था.