Morbi Bridge Case: गुजरात हाई कोर्ट मोरबी पुल हादसे पर स्वत: संज्ञान ली गयी जनहित याचिका पर मंगलवार को सुनवाई कर सकता है. मुख्य न्यायाधीश अरविंद कुमार की अध्यक्षता वाली पीठ की अनुपलब्धता के कारण सोमवार को इस मामले पर सुनवाई नहीं हो सकी. मुख्य न्यायाधीश कुमार और न्यायमूर्ति आशुतोष शास्त्री की पीठ ने 30 अक्टूबर को हुए हादसे पर सात नवंबर को राज्य सरकार और राज्य मानवाधिकार आयोग को नोटिस जारी करने के साथ सरकार से स्थिति रिपोर्ट मांगी थी.


15 नवंबर को होगी सुनवाई
उच्च न्यायालय की वेबसाइट के अनुसार, मामले की अगली सुनवाई 15 नवंबर को होगी. मोरबी में 30 अक्टूबर को मच्छु नदी पर ब्रिटिशकाल में बने झूलता पुल के गिरने से महिलाओं और बच्चों सहित 135 लोगों की मौत हो गई थी. उच्च न्यायालय ने सात नवंबर को कहा कि उसने पुल गिरने की घटना पर एक समाचार रिपोर्ट का स्वत: संज्ञान लिया है और इसे एक जनहित याचिका के रूप में दर्ज किया है. अदालत ने अपने आदेश में कहा था, ‘‘प्रतिवादी एक और दो (मुख्य सचिव और गृह सचिव) अगले सोमवार तक एक स्थिति रिपोर्ट दाखिल करेंगे.


पुलिस ने दर्ज किया है केस
राज्य मानवाधिकार आयोग इस संबंध में सुनवाई की अगली तारीख तक रिपोर्ट दाखिल करेगा.’’ पुलिस ने मोरबी पुल का प्रबंधन करने वाले ओरेवा समूह के चार लोगों सहित नौ लोगों को 31 अक्टूबर को गिरफ्तार किया, और पुल के रखरखाव तथा संचालन का काम करने वाली कंपनियों के खिलाफ मामला दर्ज किया.


क्या हुआ था उस दिन
गुजरात के मोरबी में अचानक से केबल ब्रिज टूट गया था. इस हादसे में कुल 135 लोगों की मौत हो गई थी. ये घटना उस वक्त घटी जब लोग अपनी छुट्टियां मनाने के लिए गुजरात के ऊपर चढ़े हुए थे. जब ये पुल टूटा तो उसपर बच्चों और महिलाओं सहित सैकड़ों लोग मौजूद थे. कुछ लोगों ने तैरकर अपनी जान बचाई तो कुछ लोगों की नदी में डूबने से मौत हो गई.


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