Morbi Bridge Case: मोरबी नगर पालिका ने ब्रिज गिरने के लिए अजंता मैन्युफैक्चरिंग को ठहराया जिम्मेदार, लगाए ये गंभीर आरोप
Morbi Cable Bridge Case: मोरबी पुल हादसे में 135 लोगों ने अपनी जानें गंवाई थी और सैकड़ों लोग घायल हुए थे. मोरबी नगर पालिका ने ब्रिज गिरने के लिए अजंता मैन्युफैक्चरिंग को जिम्मेदार ठहराया है.
Morbi Cable Bridge Collapse Case: मोरबी नगर पालिका ने गुरुवार को 30 अक्टूबर को हुए पुल के ढहने के लिए अजंता मैन्युफैक्चरिंग लिमिटेड (ओरेवा समूह) को यह कहते हुए दोषी ठहराया कि इसने न केवल जनता के लिए बल्कि इसकी स्थिरता और फिटनेस के वैज्ञानिक परीक्षण मंजूरी के बिना पुल को खोल दिया. मोरबी नगर पालिका के प्रभारी मुख्य अधिकारी नारन मुछार द्वारा गुजरात उच्च न्यायालय के समक्ष दायर एक हलफनामे में आरोप लगाए गए थे. इस दुखद दुर्घटना में, कुल 135 लोगों की मौत हो गई थी, जिसके बाद गुजरात हाई कोर्ट ने मामले में स्वत: संज्ञान लेते हुए कार्यवाही शुरू की.
क्या बोले अधिकारी?
अधिकारी ने आगे कहा, "26-10-2022 को, बिना किसी पूर्व स्वीकृति के, कंपनी ने सस्पेंशन ब्रिज को बड़े पैमाने पर मोरबी नगर पालिका को बताए बिना कि कंपनी द्वारा किए गए मरम्मत कार्य के बारे में बताए बिना साथ ही कथित सस्पेंशन ब्रिज की सामग्री परीक्षण, फिटनेस, धारण क्षमता और संरचना स्थिरता से संबंधित किसी भी स्वतंत्र तीसरे पक्ष के प्रमाण पत्र प्रदान किए बिना जनता के लिए फिर से खोल दिया." हालांकि उपरोक्त एमओयू की अवधि 15.08.2017 को समाप्त हो गई थी, किसी नए समझौते के अभाव में सस्पेंशन ब्रिज का रखरखाव और प्रबंधन कंपनी द्वारा जारी रखा गया था.
कोर्ट ने खड़े किये हैं कई सवाल
अदालत ने सुनवाई के दौरान कहा, "इतने महत्वपूर्ण कार्य के लिए महज डेढ़ पेज में एग्रीमेंट कैसे पूरा हुआ? क्या बिना किसी टेंडर के अजंता कंपनी को राज्य की उदारता दी गई?" अदालत ने इस त्रासदी पर खुद संज्ञान लिया था और कम से कम छह विभागों से जवाब मांगा था. इस मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश अरविंद कुमार और जस्टिस आशुतोष जे शास्त्री कर रहे हैं. बता दें.
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