Gujarat 'Namo Vad Van': गुजरात CM ने बरगद का पेड़ लगाकर गांधीनगर से की 'नमो वड़ वन' अभियान की शुरुआत
Gujarat 'Namo Vad Van': गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने सोमवार को कहा कि वन विभाग का 'नमो वड़ वन' अभियान राज्य में बरगद के पेड़ के पौराणिक और ऐतिहासिक महत्व को बहाल करेगा
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Gujarat 'Namo Vad Van': गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने सोमवार को गांधीनगर में वड़ का पेड़ लगाकर राज्यव्यापी अभियान की शुरुआत की, ताकि राज्य में 'नमो वड़ वन', पर्यावरण के अनुकूल बरगद के पेड़ का एक जंगल बनाया जा सके. 'नमो वड़ वन' के तहत राज्य के 33 जिलों में 75 वड़ वन स्थापित किए जाएंगे और वन विभाग प्रत्येक वन में 75 वड़ के पेड़ लगाएगा.
वन संरक्षण लिए जनता द्वारा अपनाए गए कदमों की सराहना की
मुख्यमंत्री ने कहा कि वन विभाग का 'नमो वड़ वन' अभियान राज्य में बरगद के पेड़ के पौराणिक और ऐतिहासिक महत्व को बहाल करेगा और राज्य सरकार के हरित आवरण को बढ़ाने के दृष्टिकोण को भी तेज करेगा. मुख्यमंत्री ने 33 जिलों में 75 स्थानों से 'नमो वड़ वन' के रोपण कार्यक्रम में भाग लेने वाले नागरिकों और वन प्रेमियों के साथ 'बीआईएसएजी' के माध्यम से बातचीत कर प्रेरक संदेश दिया. उन्होंने कहा कि ऐसे समय में जब दुनिया ग्लोबल वार्मिंग की समस्या से जूझ रही है, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में हम राज्य के विभिन्न हिस्सों में वनों की स्थापना कर रहे हैं.
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वन महोत्सव के माध्यम से हमने अधिक से अधिक वृक्षारोपण कर हरित आवरण को बढ़ाने का मार्ग अपनाया है. मुख्यमंत्री ने विश्वास व्यक्त किया कि प्रदेश में 'नमो वड़ वन' के तहत स्थापित होने वाले ऐसे वड़ वृक्षों के जंगल पर्यावरण संरक्षण व स्वच्छ हवा का स्रोत होंगे. उन्होंने गुजरात में वन संसाधनों के संरक्षण लिए जनता द्वारा अपनाए गए कदमों की सराहना की.
पिछले दो वर्षों में 6900 हेक्टेयर की हुई बढ़ोतरी
भारतीय वन सर्वेक्षण 2021 की रिपोर्ट के अनुसार, राज्य में पिछले दो वर्षों में वृक्षों के आच्छादन क्षेत्र में 6900 हेक्टेयर की वृद्धि हुई है. राज्य में 2003 में वन क्षेत्र के बाहर अनुमानित 25.10 करोड़ पेड़ थे, जो अब 2021 की जनगणना के अनुसार बढ़कर 39.75 करोड़ पेड़ हो गए हैं. पेड़ों और जंगलों के संरक्षण की प्रथा, जिस पर पूरे पारिस्थितिकी तंत्र का अस्तित्व पृथ्वी पर निर्भर करता है, हमारी संस्कृति में बुना गया है. उन्होंने कहा कि वन क्षेत्र में रहने वाले वनवासियों के जीवन का आर्थिक आधार वन उत्पाद हैं. हमें उन वनवासियों को आत्मनिर्भर भारत बनाने के लिए आत्मनिर्भर बनाना होगा.
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