अहमदाबाद:  अतिरिक्त जिला न्यायाधीश की अदालत ने एक हमले के मामले में जांच अधिकारी को कारण बताओ नोटिस जारी कर कथित तौर पर अस्पताल में भर्ती एक पुलिस अधिकारी से जवाब मांगा है. दरअसल घटना इसी साल 26 जनवरी की है.


 नरोदा थाने के हेड कांस्टेबल सुरेश कालिया (38) और अन्य को दो आरोपियों - अनिल और संजय सोलंकी के बारे में सूचना मिली थी. निषेध अधिनियम के तहत वांछित भाई नरोदा जीआईडीसी के पास मुठिया गांव के अरविंदभाई नी चली स्थित अपने घर आ रहे थे. सूचना के बाद नरोदा पुलिस की टीम चली पहुंची और अनिल सोलंकी को पकड़ लिया. हालांकि, सोलंकी के भाइयों जिग्नेश, संजय और प्रदीप और उनके पिता बलदेव सोलंकी ने कथित तौर पर हथियारों से पुलिस पर हमला किया. जल्द ही अन्य लोग भी हमले में शामिल हो गए. हत्या के प्रयास और अन्य आरोपों में नरोदा थाने में प्राथमिकी दर्ज की गयी थी. पुलिस ने छापेमारी शुरू कर आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया.


पुलिसकर्मी के 31 फरवरी तक अस्पताल में भर्ती होने की बात आई सामने


न्यायिक हिरासत में रहते हुए, प्रदीप सोलंकी ने वकील नितिन गांधी के माध्यम से जमानत याचिका दायर की और एक सुनवाई के दौरान प्रतिवादी के वकील ने अदालत का ध्यान हेड कांस्टेबल सुरेश कालिया को जारी किए गए चिकित्सा प्रमाण पत्र की ओर आकर्षित किया. पुलिसकर्मी कथित हमले में घायल हो गया था और उसे नरोदा के पार्वती जादव अस्पताल में भर्ती कराया गया था. मेडिकल सर्टिफिकेट 9 फरवरी को जारी किया गया था, लेकिन उसने कहा कि कालिया को 26 जनवरी से 31 फरवरी तक भर्ती कराया गया था. इसने अदालत और वकील को स्तब्ध कर दिया कि किसी व्यक्ति को 31 फरवरी तक कैसे भर्ती किया जा सकता है, जबकि महीने में केवल 28 दिन होते हैं.


अदालत ने जांच अधिकारी को कारण बताओ नोटिस जारी किया


वहीं तारीख दर्शा रही थी कि पुलिसकर्मी को छुट्टी देने से पहले ही मेडिकल सर्टिफिकेट जारी कर दिया गया था. इसके बाद अदालत ने जांच अधिकारी को कारण बताओ नोटिस जारी कर स्पष्टीकरण के साथ मंगलवार सुबह पेश होने के लिए कहा था.


वहीं, अधिवक्ता नितिन गांधी ने कहा कि मामला उनके संज्ञान में लाए जाने के बाद उन्होंने अदालत में एक आवेदन दायर किया है. गांधी ने कहा, "अब अदालत ने जांच अधिकारी को कारण बताओ नोटिस जारी किया है."


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