Rundhnath Mahadev: अनोखा मंदिर जहां महादेव को चढ़ाया जाता है जिंदा केकड़ा, भक्त सालों से निभा रहे ये परंपरा
Rundhnath Mahadev Temple: रुंधनाथ महादेव मंदिर के पास में ही बने श्मशान घाट में मृतक लोगों की आत्मा की शान्ति के लिए उनके परिजन चिता जलाने वाली जगह पर आकर पूजा पाठ करते हैं.
Gujarat: गुजरात के सूरत शहर में आज के इस आधुनिक दौर में कुछ ऐसा देखने को मिला जिसकी आप कभी कल्पना भी नहीं कर सकते हैं. दरअसल, सूरत में भगवान शिव के भक्त अपनी मनोकामना पूरी होने पर साल में एक बार जिंदा केकड़ा चढ़ाते हैं और श्मशान घाट में मृतक के परिजन मरने वालों कि इच्छानुसार चीज खिलाते-पिलाते हैं ताकि उनकी आत्मा को शांति मिले.
आपको बता दें कि सूरत में आज के दिन रुंधनाथ महादेव मंदिर में भगवान शिव को फूलों की माला की जगह जिंदा केकड़े चढ़ाए जाते हैं. रुंधनाथ महादेव के इस मंदिर में आज के दिन वो लोग दर्शन करने आते हैं जो शारीरिक रूप से किसी न किसी बिमारी से पीड़ित हैं, मगर इसमें भी उनकी संख्या अधिक होती है, जो कान की किसी बीमारी से पीड़ित होते हैं.
"There is a belief that if you offer crabs here then your ear-related problems will be cured, said Falguni, a devotee
— ANI (@ANI) January 19, 2023
"Crabs are offered here once a year. We believe that by offering crabs here our children will not have any ear pain," said Pushpa, another devotee (18.01) pic.twitter.com/4NuC8Uz6IR
चढ़ाते हैं मृतकों की पसंदीदा चीजें
वहीं इस मंदिर के पास में ही बने रामनाथ घेला नाम के श्मशान घाट में मृतक लोगों की आत्मा की शान्ति के लिए उनके परिजन आज के दिन चिता जलाने वाली जगह पर आकर पूजा पाठ करते हैं और मृतक की पसंदीदा चीजें भी चढ़ाते हैं. अगर मरने वाला बीड़ी, सिगरेट, शराब पीने का शौकीन था या वो अन्य कोई खाने वाली चीज ज्यादा पसंद करता था तो वो सब आज के दिन मृतक के परिजन श्मशान घाट में आकर चढ़ाते हैं. लोगों का यह मानना है कि आज के दिन मृतक की पसंदीदा चीज चढ़ाने से मृतक की आत्मा को शांति मिलती है.
कब शुरू हुई ये परंपरा
दरअसल, सूरत के इस रुंधनाथ शिव मंदिर में केकड़े चढ़ाने की सालों पुरानी परंपरा है, लेकिन केकड़े चढ़ाकर अपनी मनोकामना भगवान से पूरी करवाने के पीछे भी अपनी एक कथा है. कहते हैं इस मंदिर का निर्माण भगवान श्री राम ने अपने वनवास के दौरान यहां पर शिवजी की उपासना करने के दौरान की थी और तब से इस मंदिर का अस्तित्व है. माना जाता है कि आदिकाल में जब मंदिर के स्थान पर समुद्र बहा करता था तभी एक ऐसी घटना घटी, जिसके बाद तब से लेकर आज तक केकड़े चढ़ाने की मान्यता चली आ रही है.
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