Gujarat News: शादी के 3 साल बाद ही लिया अलग होने का फैसला, तलाक की डिक्री मिलने पर बोले- 'हम साथ रहना चाहते हैं'
गुजरात में एक पति-पत्नी ने कोर्ट में तलाक की अर्जी लगाई. जब 6 साल बाद कोर्ट ने उन्हें तलाक की डिक्री दी तो तब तक दोनों ने साथ रहने का फैसला कर लिया और हाईकोर्ट से डिक्री रद्द करने की मांग की.
HC Dissolved Plea Of Divorce: गांधीनगर में एक प्रोफेसर और उनकी पत्नी ने तलाक लेकर अपने रिश्ते को खत्म करने का फैसला लिया. लेकिन शायद किस्मत को कुछ और ही मंजूर था. कोर्ट ने दोनों का तलाक करवाने में 4 साल लगा दिए लेकिन तब तक मामला पूरी तरह बदल गया. इन चार सालों में जोड़े ने अलग होने की बजाय अपने वैवाहिक जीवन को नए सिरे से शुरू करने का फैसला लिया.
दरअसल एक प्रोफेसर और उनकी पत्नी साल 2006 में शादी के बंधन में बंधे थे. साल 2009 में दोनों माता-पिता बने. लेकिन समय के साथ-साथ उनके बीच तकरार होने लगी और यह तकरार इतनी बढ़ गई कि दोनों ने अपने रास्ते अलग करने का निर्णय ले लिया और गांधीनगर की ही एक अदालत में तलाक की याचिका दायर कर दी. यहां तक कि पति से खफा पत्नी ने गुस्से में आकर अपने पति के खिलाफ कई मुकदमे दर्ज करवा दिए.
सालों तक अपील पर लगी रही रोक
साल 2009 में दायर की गई तलाक की याचिका को कोर्ट ने 6 साल बाद यानी 2015 में स्वीकृति देते हुए तलाक की डिक्री दे दी. लेकिन पत्नी ने अपने रिश्ते को एक मौका देने के इरादे से इस डिक्री को उच्च न्यायालय में चुनौती दे डाली जिसमें उसके पति ने उसका भरपूर साथ दिया. पति ने भी अपने वैवाहिक जीवन को बहाल करने के लिए अपनी पत्नी का पूरा समर्थन दिया जिसके बाद हाईकोर्ट ने इस अपील के मद्देनजर तलाक की डिक्री को रोक लिया. सालों तक यह अपील पेंडिंग ही रही. जब फरवरी में इस अपील की सुनवाई का वक्त आया तो दोनों ने बताया कि वे तलाक के बाद भी एक दूसरे के साथ ही रहे.
हाईकोर्ट ने रद्द की तलाक की डिक्री
उनका बेटा उन दोनों को करीब लेकर आया. अपने तमाम विवादों को निपटाकर ने एक साथ खुशहाल जीवन जी रहे हैं और अब वे एक-दूसरे से अलग नहीं होना चाहते. इसके साथ ही जोड़े ने वादा किया कि अगर कोर्ट उनका तलाक रद्द कर दे तो वे निचली अदालतों में एक-दूसरे के खिलाफ दायर किए गए तमाम मुकदमे वापस ले लेंगे. इसके बाद न्यायमूर्ति ए जे देसाई और न्यायमूर्ति आर एम सरीन की पीठ ने तलाक के आदेश को रद्द करते हुए 10 दिनों के अंदर निचली अदालतों में दायर तमाम मुकदमे वापस लेने का आदेश दिया.
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