Gujarat: सामाजिक कार्यकर्ताओं, दंगा पीड़ितों और नागरिक समाज के अन्य सदस्यों ने सोमवार शाम को कुछ छात्रों के साथ 2002 के गोधरा के पीड़ितों और आश्रम रोड पर वल्लभ सदन मंदिर के पास दंगों के पीड़ितों को याद करने के लिए एक कैंडल मार्च किया.
करीब 75 लोगों ने भाग लिया
आयोजकों में से शहर के कार्यकर्ता देव देसाई ने कहा कि यह कार्यक्रम नागरिक समाज द्वारा शांति, न्याय और सांप्रदायिक सद्भाव को बढ़ावा देने के लिए आयोजित किया गया था. इस आयोजन में प्रसाद चाको और फादर सेड्रिक प्रकाश जैसे सामाजिक कार्यकर्ताओं ने भाग लिया. देसाई ने कहा, "इस कार्यक्रम में सभी क्षेत्रों के लगभग 75 लोगों ने भाग लिया. प्रतिभागियों ने मोमबत्तियां और तख्तियां लेकर सांप्रदायिक सद्भाव की अपील की और कबीर भजन गाए.
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प्रतिभागियों ने वली गुजराती की कविता का भी पाठ किया, जिसका शाहीबाग में मकबरा दंगों के दौरान ढह गया था, इस कार्यक्रम का समापन प्रतिभागियों ने दो मिनट का मौन धारण करके किया. प्रतिभागियों ने भारतीय संविधान की प्रस्तावना भी पढ़ी.
2002 में क्या हुआ था?
गुजरात के गोधरा में हुए दंगे देश के इतिहास में हुए सबसे विभित्स दंगों में एक था. गोधरा कांड 2002 में हुआ था. इस शहर का नाम सहसा तब सामने आया जब वहां 27 फ़रवरी 2002 को रेलवे स्टेशन पर साबरमती ट्रेन के एस-6 कोच में भीड़ द्वारा आग लगाए जाने के बाद 59 लोगों की मौत हो गई. इसके परिणामस्वरूप पूरे गुजरात में सांप्रदायिक दंगे होना शुरू हो गए.
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