Gujarat News: लोकसभा में पेश किए गए आंकड़ो से पता चला है कि गुजरात में सड़को पर रहने वाले बच्चों की संख्या 1,990 है. इस मामले में गुजरात दूसरे नंबर पर है जबकि  महाराष्ट्र में 4,952 बच्चों के साथ सड़कों पर रहने वाले बच्चों की संख्या सबसे ज्यादा है. साथ ही अगर पूरे भारत की बात करें तो आंकड़ों के अनुसार देश में कुल 17,914 ऐसे बच्चे हैं जो सड़क पर रहते हैं.


'नौ बच्चों की पहचान अकेले रहने वाले के रूप में की गई'


गुजरात के आंकड़ों के विश्लेषण से पता चलता है कि 1,086 बच्चे अपने परिवार के साथ रहते हैं तो 895 दिन के समय सड़कों पर होते हैं और रात के समय पास की झुग्गियों या झोपड़ियों में जाते हैं. अन्य नौ बच्चों की पहचान अकेले रहने वाले के रूप में की गई थी. शहर स्थित गैर सरकारी संगठनों ने कहा कि यह संख्या अधिक हो सकती है. एक कार्यकर्ता ने कहा, डेटा संग्रह की पद्धति महत्वपूर्ण है, जो बच्चे नियमित रूप से प्रवास करने वाले समूहों का हिस्सा हैं, वे भी सड़कों पर रह रहे हैं, जबकि कुछ जो चौराहे पर सामान बेचने में शामिल हैं, वे अक्सर विशिष्ट से आते हैं.


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गुजरात में एक साल में होम लोन वितरण 65 % बढ़ा


घरों की मांग में बढ़ोतरी को देखते हुए पूरे गुजरात में एक साल में बैंकों के हाउसिंग फाइनेंस में 65 % की बढ़ोतरी हुई है. राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति (एसएलबीसी) की नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार, 31 दिसंबर, 2021 को तिमाही पूरी होने पर नए लोन का वितरण 11,378 करोड़ रुपये रहा, जबकि 2020 की इसी तिमाही में यह 6,907 करोड़ रुपये था. एसएलबीसी की 172वीं बैठक मंगलवार को गांधीनगर में हुई.


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