Gujarat News: वडोदरा में एमबीए के छात्र पार्थ व्यास ने पांच दिन पहले दहिसर गाँव में एक झोंपड़ी के पास चिलचिलाती धूप में तेंदुए के बच्चे को तड़पते देखा. इसके बाद उन्होंने गांव वालों से शावक के बारे में पता किया थो उन्हें मालूम हुआ कि वह अपनी मां से बिछड़ गया, इसके बाद उसे वन विभाग को सौंपा गया.
गांववालों ने तेंदुए के बच्चे का पालन-पोषण किया
वन क्षेत्र की सीमा से लगे दहिसर गांव में तेंदुए का दिखना कोई असामान्य बात नहीं थी. व्यास के मुताबिक जब उन्होंने गांव वालों से इसके बारे में पूछा तो उन्होंने कहा कि हो सकता है कि दो महीने का शावक अपनी मां से अलग हो गया हो. घबराने के बजाय, ग्रामीणों ने शावक को पालने के लिए इसे अपने ऊपर ले लिया और उसकी तलाश में तेंदुए की मां के आने का इंतजार किया, व्यास ने बताया कि तेंदुए के बच्चे ने गरीब ग्रामीणों के दिलों में एक जगह भी बना ली, जिसमें मुख्य रूप से फार्महैंड शामिल थे. वह अपनी मर्जी से घर के अंदर और बाहर जा सकता है और रात में सोने के लिए घर ढूंढ सकता है.
कमाई कम होने के बावजूद भी उन लोगों ने खाने का इंतज़ाम किया
पार्थ व्यास के मुताबिक उनके घर छोटे थे और कमाई और भी कम, लेकिन इसके बावजूद भी ग्रामीणों ने बच्चे के भोजन जैसे चिकन और अन्य चीज़ों पर खर्च करने पर खुद को नहीं रोका.आमतौर पर देखा जाता है कि तेंदुए के हमले लोगों को उनका दुश्मन बना देते हैं लेकिन मानव-पशु का यह रिश्ता देखकर काफी सुखी महसूस हुआ. उन्होंने गाँववालों को समझाया कि वन नियम यह कहते हैं कि अधिकारियों को शावक के बारे में सूचित करना अनिवार्य है.
उनके इरादे नेक थे, लेकिन कानून कहता है कि जंगली जानवरों को घर पर नहीं रखा जा सकता है. इसलिए, हमने वन अधिकारियों को सूचित किया जिन्होंने शावक को बचाया था. व्यास ने स्थानीय लोगों को शावक को खिलाने के लिए कुछ पैसे दिए.
वन विभाग को सौंपा गया
शावक की देखभाल के लिए ग्रामीणों की प्रशंसा करते हुए, शिवराजपुर के रेंज वन अधिकारी (आरएफओ) रणवीर सिंह के मुताबिक उन्होंने एक जीवन बचाया. वन्यजीवों और मनुष्यों के इस तरह के सह-अस्तित्व की हमेशा सराहना की जाती है. अब हम शावक की मां की तलाश कर रहे हैं और विश्वास है कि हम उसे जल्द ही ट्रैक कर लेंगे.
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