Gujarat News: गुजरात को यूं ही बनियों का शहर नहीं कहा जाता. यहां बचपन से ही बच्चों को बचत और कमाई के गुर सिखाई जाते हैं. गुजरात के साबरकांठा जिले में बच्चों द्वारा संचालित बैंक इसकी मिसाल है. साल 2009 में शुरू हुए इस बैंक (बाल गोपाल बचत अने धीरन को-ऑपरेटिव सोसायटी बैंक) से अब तक 16,263 बच्चे जुड़ चुके हैं. आप यह जानकर हैरानी होगी कि बच्चों का यह बैक आज 2.97 करोड़ का लोन देने में सक्षम है.
बैंक में बच्चों के जमा हैं 5 करोड़
इस बैंक से जुड़े हुए सभी बच्चे अरावली जिलों के 321 गांवों के रहने वाले हैं और मध्यम और निम्न आय वाले परिवारों से संबंध रखते हैं. इन बच्चों ने अब तक 4.82 करोड़ रुपए की बचत की है. यह बैंक अपने ग्राहकों को रुपयों की बचत के अलावा बिजली और दूसरी चीजों की बचत के लिए भी प्रोत्साहित करता है. बैंक बच्चों को धूम्रपान और गुटका के सेवन से दूर रहने की शिक्षा देता है, इसके अलावा उन्हें बताया जाता है कि वे अपने बड़ों को भी धूम्रपान बंद करने का आग्रह करें ताकि इन खर्चों से बचने वाले पैसे की बचत की जा सके.
50 हजार तक का लोन देता है बैंक
यह बैंक जनता को जानवरों की खरीद और प्रोविजन स्टोर खोलने के लिए 50 हजार रुपए तक का लोन देता है. वित्तीय वर्ष 2021-22 में बैंक को 47.47 लाख रुपए का ब्याज मिला है. बैंक के चेयरमैन अश्विन पटेल ने कहा कि 0 से 18 साल का कोई भी बच्चा इस बैंक में खाता खुलवा सकता है. इसके लिए उनके माता-पिता को 110 रुपए की धनराशि मेंबरशिप के तौर पर देनी होती है. इसके बाद उन्हें एक गुल्लक दी जाती है जिसमें वे बचत के पैसे रखते हैं. पांच साल की आयु पूरी होने के बाद बच्चों को उनकी बचत के बारे में बताया जाता है. बच्चे घर पर आने वाले मेहमानों से मिले पैसों को भी अपनी गुल्लक में रखते हैं.
18 साल के बाद बच्चे निकाल सकते हैं अपना पैसा
बैंक का एक प्रतिनिधि बच्चे के घर जाता है और उस गुल्लक के सारे पैसे लेकर बच्चे को एक रसीद दे दी जाती है, फिर इन पैसों को बैंक में जमा करा दिया जाता है. लॉक इन पीरियड (18 वर्ष) खत्म होने पर बच्चे इस पैसे को निकाल सकते हैं. वे इस पैसे को शिक्षा, व्यापार और वाहन खरीदने में इस्तेमाल कर सकते हैं.
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