Gujarat News: प्राइवेट बस ऑपरेटर गुजरात की जगह अरुणाचल प्रदेश में करा रहे हैं बसों का रजिस्ट्रेशन, ये है वजह
Gujarat News: गुजरात के निजी बस ऑपरेटर टैक्स बचाने के लिए अपनी बसों को गुजरात के बजाय अरुणाचल प्रदेश में रीजनल ट्रांसपोर्ट ऑफिस (आरटीओ) में रजिस्टर्ड करवा रहे हैं
Gujarat News: गुजरात के निजी बस ऑपरेटर टैक्स बचाने के लिए अपनी बसों को गुजरात के बजाय अरुणाचल प्रदेश में रीजनल ट्रांसपोर्ट ऑफिस (आरटीओ) में रजिस्टर्ड करवा रहे हैं. अखिल गुजरात टूरिस्ट व्हीकल ऑपरेटर्स फेडरेशन (AGTVOF) के पदाधिकारियों के अनुसार, पिछले एक साल में, कम से कम 25 निजी ऑपरेटरों ने अरुणाचल में ऑफिस खोले हैं, ताकि वे वहां से वाहनों का रजिस्ट्रशन करा सकें. गुजरात में रजिस्टर्ड लगभग 1,000 अंतरराज्यीय स्लीपर बसों ने पिछले एक साल में अपना रजिस्ट्रेशन अरुणाचल प्रदेश आरटीओएस में ट्रांसफर कर दिया है.
'40,000 रुपये के मुकाबले 2,000 रुपये वसूल करता है'
बस ऑपरेटर टैक्स पर लगभग 38,000 रुपये प्रति महीने बचाते हैं, क्योंकि अरुणाचल प्रदेश गुजरात में प्रति माह 40,000 रुपये के औसत के मुकाबले 2,000 रुपये वसूल करता है. एजीटीवीओएफ के सचिव राजेंद्र ठाकर ने कहा, केंद्र ने पिछले साल अंतर-राज्यीय बसों के लिए एक अखिल भारतीय परमिट की शुरुआत की, जिसके लिए निजी एसी बस ऑपरेटरों को हर साल 3 लाख रुपये का भुगतान करना होगा.
हर साल प्रति बस 4.50 लाख रुपये की होती बचत
अगर तीन महीनों में भुगतान किया जाए तो यह 3. 60 लाख रुपये हो जाता है. गुजरात के निजी बस ऑपरेटर यहां आरटीओ में अपना बकाया चुकाते हैं, एनओसी प्राप्त करते हैं और फिर अरुणाचल में अपनी बसों को रजिस्टर करवाते हैं. इससे ऑपरेटरों को हर साल प्रति बस 4.50 लाख रुपये की बचत होती है. यही वजह है कि गुजरात के निजी बस ऑपरेटर टैक्स बचाने के लिए अपनी बसों को गुजरात के बजाय अरुणाचल प्रदेश में रीजनल ट्रांसपोर्ट ऑफिस (आरटीओ) में रजिस्टर्ड करवा रहे हैं.
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