Gujarat News: गुजरात में कांग्रेस के नेता हार्दिक पटेल (Hardik Patel) को आगामी विधानसभा चुनाव से पहले बड़ी राहत मिली है. सुप्रीम कोर्ट ने पाटीदार आरक्षण आंदोलन के दौरान हुए दंगों और आगजनी में अपीलों पर फैसला आने तक कांग्रेस नेता हार्दिक पटेल की सजा पर रोक लगाते हुए कहा कि संबंधित हाई कोर्ट को सजा पर रोक लगानी चाहिए थी.
इससे पहले बीते महीने गुजरात सरकार ने पाटीदार आरक्षण आंदोलन के संबंध में दर्ज 10 मामले वापस ले लिए हैं. सरकारी वकील सुधीर ब्रह्मभट्ट ने कहा उस वक्त कहा था कि कि राज्य सरकार द्वारा कलेक्टरों को दिए गए निर्देशों के अनुसार मामलों को वापस लेने के लिए विभिन्न अदालतों में आवेदन जमा किए गए थे. अहमदाबाद में एक सत्र अदालत ने सात मामलों को वापस लेने की अनुमति दी थी.
'जल्द ही इस मामले में फैसला करना चाहिए'
जज जस्टिस एस ए नजीर और जज जस्टिस विक्रम नाथ की बेंच ने कहा कि यह हाई कोर्ट द्वारा सजा पर रोक लगाए जाने के लिए एक उपयुक्त मामला होता. सीनियर एडवोकेट मनिंदर सिंह ने मामले सुनवाई की शुरुआत में अभिवेदन दिया कि हार्दिक पटेल को चुनाव लड़ने की अनुमति नहीं देना अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के उनके अधिकार का उल्लंघन है.
उन्होंने कहा, यह एक उल्लंघन है. मैं 2019 में चुनाव लड़ने का एक मौका पहले ही गंवा चुका हूं. हम अनुच्छेद 19(ए) के तहत अपने अधिकारों को लागू कराने के लिए आपके समक्ष आए हैं. उन्होंने पुलिस बल का दुरुपयोग किया है. मुझे नहीं पता कि उनका क्या कहना है, लेकिन महामहिम को जल्द ही इस मामले में फैसला करना चाहिए.
बेंच ने आदेश पारित करते हुए ये कहा
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि सजा के लिए बुनियादी मानदंड निर्धारित हैं. उन्होंने कहा, ‘‘आपराधिक कानून में, किसी मानक दिशानिर्देश के बारे में यह नहीं कहा जा सकता कि कौन सा सही है. आप इसे तय कर सकते हैं. इसके बाद बेंच ने आदेश पारित करते हुए कहा, ‘‘तथ्यों और परिस्थितियों पर गौर करने के बाद हमारा मानना है कि यह हाई कोर्ट द्वारा सजा पर रोक लगाए जाने का एक उचित मामला होता. सजा पर तब तक रोक लगाई जाती है, जब तक कि अपीलों पर तदनुसार फैसला नहीं लिया जाता है.’’
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