Surat News: सूरत में जाली दस्तावेज बनाने के आरोप में 2 लोग गिरफ्तार, पुलिस ने कहा- 'यह गंभीर राष्ट्रीय सुरक्षा मुद्दा'
Surat Crime News: गुजरात के सूरत में एक चौंका देने वाला मामला सामने आया है. पुलिस ने बताया कि वेबसाइट का उपयोग कर जाली डॉक्यूमेंट बनाने वाले दो लोगों को गिरफ्तार किया है.
Gujarat Police: गुजरात के सूरत शहर में दो लोगों को कथित तौर पर एक वेबसाइट का उपयोग करके आधार और पैन कार्ड के साथ-साथ मतदाता पहचान पत्र जैसे दस्तावेजों में जालसाजी करने और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा पैदा करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है. एक पुलिस अधिकारी ने सोमवार को कहा कि वे सरकारी डेटाबेस तक पहुंच बना रहे थे, जो अवैध प्राधिकरण का मामला है और एक गंभीर मुद्दा है. उन्होंने कहा कि आरोपियों ने आधार और पैन कार्ड जैसे लगभग दो लाख पहचान प्रमाण दस्तावेजों की जालसाजी की और उन्हें प्रत्येक को 15 रुपये से 200 रुपये में बेच दिया.
आरोपियों की हुई पहचान
सहायक पुलिस आयुक्त (आर्थिक अपराध) वीके परमार ने कहा कि एक निजी ऋणदाता के अधिकारियों से मिली शिकायत पर कार्रवाई करते हुए कि कुछ लोगों ने फर्जी दस्तावेजों के आधार पर ऋण प्राप्त किया और पुनर्भुगतान में चूक की, जालसाजी और धोखाधड़ी के आरोप में छह लोगों को गिरफ्तार किया गया. पूछताछ के दौरान, छह आरोपियों में से एक, जिसकी पहचान प्रिंस हेमंत प्रसाद के रूप में हुई है.
उसने कहा कि उसने जाली आधार और पैन कार्ड डाउनलोड करने के लिए अपने पंजीकृत उपयोगकर्ता नाम और पासवर्ड का उपयोग करके वेबसाइट तक पहुंच बनाई. अधिकारी ने कहा, भुगतान करके वेबसाइट से डाउनलोड किए गए फर्जी पहचान पत्र का इस्तेमाल बैंक ऋण स्वीकृत कराने और सिम कार्ड खरीदने जैसे उद्देश्यों के लिए किया जाता था.
दो साल में दो लाख फेक दस्तावेज बनाए
उन्होंने कहा कि राजस्थान के गंगानगर निवासी सोमनाथ प्रमोदकुमार को तकनीकी निगरानी के माध्यम से गिरफ्तार किया गया, जिसका नाम वेबसाइट पर मौजूद कई मोबाइल नंबरों से जुड़ा था. अधिकारी ने बताया कि एक अन्य व्यक्ति, उत्तर प्रदेश के उन्नाव निवासी प्रेमवीरसिंह ठाकुर, जिसके नाम पर वेबसाइट बनाई गई थी, को भी गिरफ्तार किया गया. जब उनसे पूछताछ की गई, तो उन्होंने दो साल में लगभग दो लाख पहचान दस्तावेज जाली बनाने का खुलासा किया. सोमनाथ ने कक्षा 5 तक पढ़ाई की है. अवैध गतिविधि को अंजाम देने के लिए उसे कुछ लोगों से तकनीकी मदद मिली थी.
उन्होंने बताया कि वेबसाइट पिछले तीन साल से चल रही थी. यह एक गंभीर राष्ट्रीय सुरक्षा मुद्दा है. अधिकारी ने कहा, वे बदल नहीं रहे हैं बल्कि सरकारी डेटाबेस तक पहुंच बना रहे हैं और यह अवैध प्राधिकरण का मामला है. परमार ने कहा, संभव है कि इसके पीछे कई और लोग हों, पुलिस ने प्रमोदकुमार और उसकी मां के बैंक खातों में 25 लाख रुपये फ्रीज कर दिए हैं.