अहमदाबाद: गुजरात विधानसभा चुनाव (Gujarat Assembly Election 2022) की तैयारियों में आम आदमी पार्टी (AAM AADMI PARTY) जी जान से जुटी हुई है. पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (CM Arvind Kejriwal) लगातार गुजरात का दौरान कर रहे हैं.इस बीच आप को एक बड़ा झटका लगा है. चुनाव से ठीक पहले भारतीय ट्राइबल पार्टी (Bhartiya Tribal Party) ने आप के साथ अपना गठबंधन तोड़ने की घोषणा की है. दोनों दलों ने चार साल पहले गठबंधन किया था. बीटीपी नेता छोटूभाई वसावा (Chhotubhai Vasava) ने यह घोषणा उस समय की तब केजरीवाल गुजरात दौरे पर हैं.
बीटीपी ने आरोप पर क्या आरोप लगाए हैं
छोटूभाई वसावा ने आप से गठबंधन तो तोड़ लिया है, इसके साथ ही उन्होंने कहा कि वो बीजेपी से गठबंधन नहीं करेंगे. गठबंधन तोड़ने का ऐलान करते हुए बीटीपी ने कहा कि 'आप' के साथ गठबंधन जारी रहने पर उसके संगठन को नुकसान हो सकता था. पार्टी का कहना था था इस गठबंधन से बीटीपी की छवि खराब हो रही थी. उन्होंने आरोप लगाया कि उनकी पार्टी को तोड़ने का भी प्रयास किया जा रहा था.उन्होंने कहा कि बीटीपी की उपेक्षा को लेकर उन्होंने दस दिन पहले आप के गुजरात प्रभारी को पत्र भी लिखा था,लेकिन अब तक उन्होंने इसका कोई जवाब नहीं दिया है.ऐसे में उनकी पार्टी ने गठबंधन से अलग होने का फैसला किया है.
वसावा ने आरोप लगाया कि आप और बीटीपी ने मिलकर जनजातीय क्षेत्र के लिए 14 मुद्दे तय किए थे. लेकिन पिछले महीने बोदेली की रैली में आप ने उनकी सहमति के बगैर छह मुद्दों की गारंटी पर बात की.जबकि तय हुआ था कि इन सभी मुद्दों की संयुक्त रूप से घोषणा की जाएगी. बसावा ने विधानसभा चुनाव अकेले लड़ने की घोषणा की.
किसे बताया टोपी वालों की पार्टी
छोटूभाई वसावा ने कहा,''देश में स्थिति बहुत खराब है. हम किसी टोपीवाले से नहीं जुड़ना चाहते हैं,चाहे वह केसरिया हो या झाड़ू निशान के साथ सफेद टोपी. ये सभी एक जैसे हैं. यह देश पगड़ी पहनने वालों का है और आदिवासियों के मुद्दों को सभी दलों ने दरकिनार किया है.'' वसावा ने आरोप लगाया कि 'आप'ने उसके नेताओं को तोड़ने का प्रयास किया. वसावा ने कहा कि हार हो या जीत उनकी पार्टी अकेले ही विधानसभा चुनाव लड़ेगी.
बीटीपी ने 2017 का विधानसभा चुनाव कांग्रेस के साथ मिलकर लड़ा था. उसे दो सीटों पर सफलता मिली थी. आदिवासियों की राजनीति करने वाली इस पार्टी की गुजरात और मध्य प्रदेश के कुछ हिस्सों पकड़ है. उसका दावा है कि गुजरात में उसके करीब पांच लाख सक्रिय सदस्य हैं. गुजरात की कुल आबादी में आदिवासियों की आबादी करीब 14.8 फीसदी है. राज्य की 181 सदस्यों वाली विधानसभा में 27 सीटें अनूसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हैं.
आप पर क्या असर पड़ेगा
गुजरात की राजनीति पर नजर रखने वाले लोगों का मानना है कि बीटीपी भले ही पिछले चुनाव में केवल दो सीटें ही जीत पाई थी,लेकिन उसके साथ रहने से आप को फायदा होता. आप आदिवासी बहुल इलाकों में प्रचार-प्रसार पर जोर दे रही है. केजरीवाल ने पिछले दिनों आदिवासी बहुल गांवों में स्कूल और अस्पताल खोलने की घोषणा की थी.
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