Gujarat Government School: मणिनगर में निजी कंपनियों में काम करने वाले दम्पति संजय और अंकिता प्रजापति ने हाल ही में न्यू मणिनगर के एक निजी स्कूल पूजा विद्यालय से अपने दो बेटों का प्रवेश रद्द कराया है और उन्हें इंद्रपुरी सरकारी प्राथमिक स्कूल में दाखिला दिलाया है. टीओआई के अनुसार परिजन ने कहा, "हमारा बेटा प्रिंस कक्षा 6 में पढ़ता है जबकि जैस्मीन 4 कक्षा में है. हमने अच्छी फीस दी लेकिन हम निजी स्कूल में शिक्षा की गुणवत्ता से संतुष्ट नहीं थे. हमने निराश होकर उसे एक सरकारी स्कूल में दाखिला दिलाया, जहां अच्छी शिक्षा दी जाती है." संजय प्रजापति ने कहा, मुफ्त शिक्षा ने उन्हें परिवार के अन्य खर्चों के लिए पैसे बचाने में मदद की है.


छात्रों के रिवर्स माइग्रेशन की प्रवृत्ति
गुजरात में निजी से सरकारी स्कूलों में छात्रों के रिवर्स माइग्रेशन की प्रवृत्ति देखी जा रही है. राज्य के शिक्षा विभाग द्वारा बनाए गए आंकड़ों के अनुसार, पिछले चार वर्षों में, कक्षा 1-8 में पढ़ने वाले 11.3 लाख प्राथमिक छात्रों ने निजी स्कूलों को छोड़ दिया है और सरकारी स्कूलों में प्रवेश लिया है. स्कूल छोड़ने को लेकर छात्र के माता-पिता अलग-अलग कारणों का हवाला देते हैं. प्रमुख शिक्षा सचिव विनोद राव ने कहा कि राज्य के सरकारी स्कूलों में रिवर्स माइग्रेशन का चलन करीब पांच साल पहले शुरू हुआ था. निजी स्कूलों में अपने बच्चों को सरकारी स्कूलों में प्रवेश देने वाले माता-पिता सरकारी स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार का एक अच्छा संकेत है."


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क्या बोले छात्र के माता-पिता?
नरोल के बॉम्बे होटल में सिंगल मदर शहनाज अंसारी ने अपने बेटे साहिल का एडमिशन इसनपुर के एक निजी स्कूल से बदलकर एएमसी द्वारा संचालित इसनपुर सरकार प्राथमिक शाह में करवाया है. उन्होंने कहा, "मेरा बेटा तीसरी कक्षा पास कर चुका है, लेकिन निजी स्कूल में गुजराती भी पढ़-लिख नहीं सकता था, जहां मैं फीस के तौर पर 500 रुपये मासिक देती थी. तंग आकर मैंने उसे नगर निगम के स्कूल में दाखिला दिलाया, जहां वह अच्छा सुधार दिखा रहा है.


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