Gujarat Assembly: गुजरात विधानसभा में 'सार्वजनिक विश्वविद्यालय बिल' पास, विधेयक को लेकर शिक्षा मंत्री ने कही ये बात
इस विधेयक को सदन में ध्वनि मत से पारित किया गया. इसमें इन विश्वविद्यालयों में बेहतर समन्वय और उच्च शिक्षा सुविधाओं के उचित उपयोग के जरिये सुचारु प्रशासन सुनिश्चित करने के लिए साझा दिशा निर्देश है.
Gujarat News: गुजरात विधानसभा ने शनिवार को 11 राज्य विश्वविद्यालयों के अलग-अलग कानूनों को एकीककृत करने लिए ‘गुजरात सार्वजनिक विश्वविद्यालय विधेयक’ पारित किया. ताकि इनके प्रशासन में सहूलियत हो और राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) को उचित तरीके से लागू किया जा सके. राज्य के शिक्षा मंत्री रुशिकेश पटेल ने विधेयक को मील का पत्थर करार दिया. विपक्षी दल कांग्रेस ने कहा कि, यह विधेयक विश्वविद्यालयों की स्वायत्तता का उल्लंघन करता है और एकेडमिक स्वतंत्रता के लिहाज से हानिकारक है. इस विधेयक के साथ कई विश्वविद्यालयों को नियंत्रित करने वाले 11 अधिनियम निरस्त हो जाएंगे.
इस विधेयक को सदन में ध्वनि मत से पारित किया गया. इसमें इन विश्वविद्यालयों में बेहतर समन्वय, सहयोग और उच्च शिक्षा सुविधाओं के उचित उपयोग के जरिये सुचारु प्रशासन सुनिश्चित करने के लिए साझा दिशा निर्देश है. विधेयक में कहा गया है कि, महाराजा सयाजीराव यूनिवर्सिटी ऑफ बड़ौदा (एमएसयू) को छोड़कर गुजरात के राज्यपाल बाकी 10 विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति के रूप में काम करेंगे. विधेयक के मुताबिक, बड़ौदा के पूर्व शाही परिवार की सदस्य शुभांगिनी राजे गायकवाड़ एमएसयू की कुलाधिपति होंगी.
इस अधिनियम में इन कमियों को दूर करने की जरूरत
इसके साथ ही विधेयक में कहा गया है कि, विश्वविद्यालय अधिनियमों के विभिन्न वर्गों में अनुभव द्वारा महसूस की गईं त्रुटियों, कमियों, बाधाओं, खामियों और सीमाओं को दूर करने और सुधारने की आवश्यकता है. विधेयक के मुताबिक, सीनेट और सिंडिकेट की जगह प्रबंधन बोर्ड लेगा जो एक विश्वविद्यालय का मुख्य कार्यकारी और अंतिम निर्णय लेने वाला नीति नियंता प्राधिकरण होगा. यह इसके सभी मामलों के प्रशासन के लिए जिम्मेदार होगा. प्रबंधन बोर्ड के सदस्यों का कार्यकाल ढाई साल का होगा.
'यह विधेयक मील का पत्थर साबित होगा'
विधेयक में कुलपति का कार्यकाल किसी एक विश्वविद्यालय में पांच साल निर्धारित किया गया है, लेकिन किसी कुलपति को सक्षम पाया जाता है, तो उसे किसी दूसरे विश्वविद्यालय में अगले पांच साल तक के लिए कुलपति नियुक्त किया जा सकता है. विधेयक में कहा गया है कि यदि कोई कुलपति किसी राजनीतिक दल या संगठन से जुड़ा है, तो पद से हटाया जा सकता है. कोई दल या संगठन राजीतिक है या नहीं इसका फैसला सरकार करेगी. शिक्षा मंत्री रुशिकेश पटेल ने सदन को बताया, यह विधेयक एक मील का पत्थर साबित होगा. यह 21वीं सदी में उच्च शिक्षा के लिए एक विश्वविद्यालय की सभी आवश्यकताओं को पूरा करेगा.