Gujarat Rain News: अहमदाबाद में 3 घंटे में 10 जुलाई को 125 मिमी बारिश हुई और जल-जमाव का सामना करना पड़ा. राजकोट में 24 घंटे में 133 मिमी बारिश हुई, फिर भी 11 जुलाई को सड़कों पर पानी भर गया. सूरत, वडोदरा और गुजरात के अन्य शहरों की भी यही कहानी रही. ऐसा इसलिए, क्योंकि पानी के लिए शहरी नियोजन ऐतिहासिक आंकड़ों पर आधारित है, न कि अनुमानित आंकड़ों पर. योजना बनाते समय जलवायु परिवर्तन पर विचार नहीं किया जाता है ऐसा विशेषज्ञों का कहना है.
क्या बोले नगर निगम जल समिति के अध्यक्ष?
अहमदाबाद में नगर निगम जल समिति के अध्यक्ष जतिन पटेल ने कहा, अहमदाबाद में 980 किलोमीटर की पानी की पाइपलाइन है. इसकी क्षमता एक घंटे में एक इंच बारिश ले जाने की है, अगर अधिक बारिश हुई तो जलभराव होगा. हालांकि पटेल ने इस सवाल का जवाब नहीं दिया कि क्या इस सुविधा को कभी अपग्रेड किया गया था, लेकिन अब वह क्षमता बढ़ाने के लिए कार्यकारी विंग के साथ इस पर चर्चा करने जा रहे हैं.
कार्यकारी अभियंता ने साधी चुप्पी
एक अन्य प्रमुख शहर वडोदरा में, नगर निगम की वेबसाइट 2012 में कहा गया कि 2011 में 16 लाख की आबादी वाले 158 वर्ग किलोमीटर में फैले शहर के लिए स्टॉर्मवाटर नेटवर्क 108 वर्ग किलोमीटर था. 33 किलोमीटर की प्राकृतिक नालियों को फिर से डिजाइन और रखरखाव किया गया. शहर के कार्यकारी अभियंता राजेश शिम्पी ने इस सवाल पर चुप्पी साध ली कि पिछले 10 वर्षों में इस क्षमता का विस्तार किया गया या नहीं.
क्या बोले अभियंता के एस गोहिल?
सौराष्ट्र की वित्तीय राजधानी राजकोट की वर्तमान जल क्षमता आवश्यकता के अनुसार पर्याप्त नहीं है. शहर के पश्चिमी क्षेत्र के उप अभियंता के एस गोहिल ने कहा, अन्य सहयोगियों के अनुभव के आधार पर जहां भारी बारिश होती है और जहां कम होती है वहां 1400 मिमी से 300 मिमी व्यास वाली एक पाइपलाइन स्थापित की जाती है. हमारा उद्देश्य जल-जमाव के समय को कम करना है, 100 प्रतिशत समाधान नहीं हो सकता. पहले पानी डेढ़ घंटे तक रुका रहता था लेकिन उसे घटाकर 40 से 45 मिनट कर दिया गया है.
क्या बोले पूर्व मुख्य नगर योजनाकार?
डीन देवांग पारेख के अनुसार, शहरों में घंटों और कभी-कभी एक या दो दिन के लिए जल-जमाव होता है. इसके पीछे दो कारण हैं. पहला भारी बारिश होना और दूसरा खराब योजना का होना. राज्य के पूर्व मुख्य नगर योजनाकार परेश शर्मा ने कहा कि बारिश पर ऐतिहासिक डेटा का उपयोग भविष्य के अनुमानों और योजना के लिए किया जाता है. जलवायु परिवर्तन और मानसून पैटर्न को देखते हुए योजना को बदलने की जरूरत है.
क्या बोले पर्यावरणविद् महेश पंड्या?
परेश शर्मा ने सुझाव दिया कि बारिश के दिन कम हो गए हैं लेकिन तीव्रता बढ़ गई है, इसलिए आने वाले वर्षों में इन अनिश्चित बारिश के पैटर्न को पूरा करने के लिए बुनियादी ढांचे को डिजाइन किया जाना चाहिए. पर्यावरणविद् महेश पंड्या ने कहा कि दशकों से जलवायु परिवर्तन के बारे में बात की गई है और यहां तक कि बजट भी आवंटित किया गया है, लेकिन कोई भी गंभीर नहीं है.
हाल के एक उदाहरण का हवाला देते हुए, उन्होंने कहा कि 7 जून को अहमदाबाद नगर निगम ने एक सार्वजनिक परामर्श कार्यक्रम आयोजित किया था, जिसमें योजना बनाई गई थी कि बारिश के पानी और जल निकासी सुविधाओं को बनाने के लिए 3000 करोड़ रुपये के वर्ल्ड बैंक लोन का उपयोग कैसे किया जाए. लेकिन कोई मंथन नहीं हुआ, सिर्फ मेयर, डिप्टी मेयर और कमिश्नर को सम्मानित किया गया.
परेश शर्मा और देवांग पारेख का मानना है कि जैसे जनसंख्या वृद्धि का अनुमान है, वैसे ही अगले पांच से दस वर्षों के लिए वर्षा का अनुमान लगाया जाना चाहिए. इस तरह के अनुमानों के आधार पर जल निकासी की योजना बनाई जा सकती है और डिजाइन किया जा सकता है, जो बारिश के पानी को ले जाने में समक्ष होगा.
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