Gujarat's Blue Bull: एशिया का सबसे बड़ा मृग कही जाने वाली नीलगाय की आबादी में मानों चमत्कार हो गया हो. गुजरात में 117.27% की नीलगायों की बढ़ोतरी देखी गयी है जिसनें चौंका कर रख दिया है. गुजरात इकोलॉजिकल और एजुकेशन रिसर्च (GEER) फाउंडेशन द्वारा किए गए सर्वे से पता चलता है कि 2011 में 1,19,546 के मुकाबले 2,51,378 नीलगाय दर्ज की गई हैं.
बनासकांठा 32,021 नीलगायों के साथ अव्वल पर
नीलगाय की आबादी में सबसे अधिक बढ़ोतरी 56.23% 2011-2015 के सर्वे में दर्ज की गई थी. वहीं 2015 में, राज्य में नीलगाय की आबादी 1,86,770 थी. अगले पांच सालों में इसमें 34.6% की बढ़ोतरी हुई. अहमदाबाद जिले में 9,816 नीलगाय हैं जबकि गांधीनगर जिले में 3,010 हैं. बनासकांठा में नीलगायों की सबसे अधिक आबादी है जिनकी संख्या 32,021 हैं. इसके बाद पाटन में 18,584 और अमरेली में 16,295 हैं.गांधीनगर और साबरकांठा ,बनासकांठा, पाटन, महिसागर, अरावली, मेहसाणा,जैसे उत्तर गुजरात के जिलों में 91,244 नीले बैल या राज्य में कुल नीलगाय आबादी का 36.3% हिस्सा है.
नीलगायों से अपनी फसल बचाने के लिए बिजली की बाड़ लगाते हैं किसान
राज्य के वन विभाग के एक अधिकारी के मुताबिक नीलगाय को किसान कीड़ा मानते हैं क्योंकि अक्सर यह फसल बर्बादी का कारण होता है. जंगलों के अलावा, उनके आवास शहरी, अर्ध शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में फैले हुए हैं. इससे कई किसान अपने खेतों के चारों ओर बिजली की बाड़ लगा रहे हैं जो अवैध है. इससे न केवल नीलगाय की मौत होती है, बल्कि कई बार, विशेष रूप से सौराष्ट्र में, तेंदुए और शेर जैसे अन्य संरक्षित जानवरों की भी मौत हो जाती है.
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