Gujarat: गुजरात स्टेट वक्फ ट्रिब्यूनल ने बार काउंसिल ऑफ गुजरात (बीसीजी) को सुनवाई के दौरान कथित रूप से अनुचित व्यवहार के लिए चार अधिवक्ताओं के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने को कहा है. वकीलों ने ट्रिब्यूनल के सदस्यों पर मामले से खुद को अलग करने को कहा था क्योंकि उनमें से दो सुन्नी संप्रदाय के थे.
क्या है मामला ?
दरअसल ट्रिब्यूनल पाटन जिले के अनवादा गांव में हजरत मौलाना महबूब दरगाह, मस्जिद और कब्रिस्तान ट्रस्ट से जुड़े एक विवाद की सुनवाई कर रहा था. इसी दौरान वकील वी आर अग्रवाल, राजेश मोदी ने तर्क दिया था कि ट्रिब्यूनल के सदस्य - अध्यक्ष एआई शेख और अन्य दो सदस्यों में से एक रिजवान कादरी सुन्नी हैं और इसलिए वे मामले की सुनवाई करने में जल्दबाजी कर रहे हैं. वकीलों ने कहा कि मामला सुन्नी और शिया संप्रदायों के बीच विवाद से संबंधित है और इसलिए इन सदस्यों को इसे नहीं सुनना चाहिए.
सुन्नी संप्रदाय का यह दावा
वहीं सुन्नी संप्रदाय के सदस्य दावा करते रहे हैं कि ट्रस्ट के प्रबंधन में शिया संप्रदाय के सदस्य शामिल हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि ट्रस्ट को दाऊदी बोहरा समुदाय के सदस्यों ने अपने कब्जे में ले लिया, इसलिए प्रबंधन सुन्नियों को सौंप दिया जाना चाहिए.
18 जनवरी को ऑनलाइन माध्यम से की गई सुनवाई के दौरान, बोहरा समुदाय का प्रतिनिधित्व करने वाले प्रतिवादियों के वकीलों और उनके धार्मिक नेता ने ट्रिब्यूनल के सदस्यों के साथ तीखी बहस की. वकीलों में से एक, मनीष शाह ने कहा कि वक्फ बोर्ड इस मामले को ट्रिब्यूनल से बेहतर तरीके से सुनता है.
वकील के आरोप से ट्ट्रिब्यूनल नाराज
वकील के आरोप से ट्ट्रिब्यूनल नाराज है. उसने यह भी कहा है कि वह तीन अन्य वकीलों- वी आर अग्रवाल, राजेश मोदी और कैसर मर्चेंट के सुनवाई के दौरान अनुचित तरीके से व्यवहार करने को लेकर भी नाराज है.
वकील वी आर अग्रवाल, राजेश मोदी ने तर्क दिया था कि ट्रिब्यूनल के सदस्य - अध्यक्ष एआई शेख और अन्य दो सदस्यों में से एक रिजवान कादरी सुन्नी हैं और इसलिए वे मामले की सुनवाई करने में जल्दबाजी कर रहे थे. वकीलों ने कहा कि मामला सुन्नी और शिया संप्रदायों के बीच विवाद से संबंधित है और इसलिए इन सदस्यों को इसे नहीं सुनना चाहिए.