Gujarat News: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को छह सप्ताह के भीतर एक चौकीदार की बहाली का आदेश दिया, जो कच्छ (Kutch) जिला पंचायत में कार्यरत था और जिसकी सेवा 2002 में समाप्त कर दी गई थी. भारत के मुख्य न्यायाधीश यूयू ललित और न्यायमूर्ति एस रवींद्र भट की पीठ ने प्रबंधन प्राधिकरण को उन्हें 1 जनवरी, 2020 से 1 जनवरी, 2022 तक की अवधि के लिए मजदूरी का भुगतान करने का निर्देश दिया.


1992 में उन्हें चौकीदार के रूप में मिली थी नियुक्ति


शीर्ष अदालत ने जिला पंचायत के खिलाफ भी टिप्पणी की. अदालत ने कहा कि कच्छ जिला पंचायत ने 2010 और 2011 में श्रम न्यायालय और गुजरात उच्च न्यायालय की एकल न्यायाधीश पीठ के आदेशों को, जो कि चौकीदार जीतुभा खानसांगजी जडेजा की बहाली के आदेश थे,  स्वीकार कर लिया होता तो 10 साल से अधिक समय तक प्रतीक्षा करने की उनकी पीड़ा से बचा जा सकता था" जडेजा को 1992 में कच्छ जिला पंचायत द्वारा 2400 रुपये के मासिक वेतन के साथ "चोकीदार" के रूप में नियुक्त किया गया था, और आखिरी बार मुंद्रा तालुका के शिराई बांध में उसी पद पर काम कर रहे थे. उनकी सेवा दिसंबर 2002 में प्रबंधन द्वारा समाप्त कर दी गई थी, जो कि जडेजा के अनुसार, उचित प्रक्रिया का पालन किए बिना किया गया था.


Gujarat Assembly election: मनीष सिसोदिया ने BJP पर साधा निशाना, AAP के सीएम उम्मीदवार को लेकर कही ये बात


कर्मचारी ने लगाया था ये आरोप


जडेजा ने निचली अदालत में मुकदमे के दौरान आरोप लगाया था कि वरिष्ठता की उनकी मांग, उन्हें एक स्थायी कर्मचारी बनाने और उनका वेतन बढ़ाने के लिए की मांग के कारण उन्हें बर्खास्तगी का सामना करना पड़ा. उन्होंने 2003 में अपनी बर्खास्तगी को चुनौती देते हुए भुज श्रम अदालत का रुख किया और 2010 में अदालत ने अंतरिम अवधि के बिना वेतन के जडेजा की सेवा की निरंतरता के साथ बहाली का आदेश दिया था. श्रम न्यायालय के समक्ष जडेजा ने कहा था कि प्रबंधन ने कोई वरिष्ठता सूची नहीं रखी और उनसे कनिष्ठ कर्मचारियों को बरकरार रखा गया.


Maharashtra Monkeypox Report: महाराष्ट्र में मंकीपॉक्स के संदिग्ध 10 मरीजों का हुआ टेस्ट, सामने आई ये रिपोर्ट