Gujarat News: गुजरात हाई कोर्ट (Gujarat High Court) ने एक ऐसे व्यक्ति का तलाक मंजूर कर दिया, जिसकी पत्नी सिजोफ्रेनिया रोगी हैं. इस जोड़े की शादी साल 2009 में हुई थी. पति एमडी है और पत्नी आयुर्वेद डॉक्टर है. पति ने साल 2012 में गुजरात की एक पारिवारिक अदालत में तलाक का मुकदमा दायर किया था. पति ने आरोप लगाया गया कि उसकी पत्नी सिजोफ्रेनिया से पीड़ित थी. वो एक आध्यात्मिक पंथ की प्रबल अनुयायी भी है.
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, पति ने आरोप लगाया कि उसकी पत्नी उसके साथ यौन संबंध बनाने की इच्छुक नहीं थी. उसने यह भी धमकी दी कि अगर उसने उससे यौन संबंध बनाए तो वह आत्महत्या कर लेगी. पति ने तर्क दिया कि शादी से पहले उन्हें उनकी पत्नी की मानसिक स्थिति के बारे में अंधेरे में रखा गया था और यह क्रूरता के समान है. इसके बाद साल 2018 में, पारिवारिक अदालत ने पति के दावों को स्वीकार करने से इनकार कर दिया था.
गुजरात हाईकोर्ट ने क्या कहा
इसके बाद पति ने गुजरात हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया. उसने हाईकोर्ट में अपनी पत्नी का सिजोफ्रेनिया का इलाज करने वाले डॉक्टरों और अन्य गवाहों की गवाही पेश की, जिन्होंने पारिवारिक अदालत के सामने गवाही दी थी. इतना ही नहीं पत्नी साल 2011 से वैवाहिक घर में नहीं रह रही थी. मामले की सुनवाई के बाद, न्यायमूर्ति बीरेन वैष्णव और न्यायमूर्ति निशा ठाकोर की पीठ ने कहा कि पत्नी की चिकित्सीय स्थिति, अपने वैवाहिक दायित्वों को निभाने से इनकार करना और 12 साल तक पति घर से दूर रहने के आधार पर ये माना जा सकता है कि शादी टूट गई है.
हाईकोर्ट ने कहा कि ऐसा कोई कारण नहीं है कि तलाक की मंजूरी नहीं दी जा सकती. खासकर तब जब पत्नी पति के साथ वैवाहिक रिश्ते की प्रतिबद्धता का सम्मान करने में सक्षम नहीं है. अदालत ने हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 13(1) के तहत अपीलकर्ता (पति) के आवेदन को स्वीकार कर लिया. अदालत ने पति को अपनी पत्नी को स्थायी गुजारा भत्ता के रूप में पांच लाख रुपये देने को भी कहा.