Gujarat News:  गुजरात के वीरमगाम से बीजेपी विधायक हार्दिक पटेल (Hardik Patel) को पांच साल पुराने एक मामले में कोर्ट से बड़ी राहत मिली है. शुक्रवार को गुजरात की एक कोर्ट ने पांच साल पहले जामनगर के धुरतपुर-धुलसिया गांव में भाषण देने के मामले में बरी कर दिया. उन पर आरोप था कि उन्होंने अधिकारियों द्वारा कार्यक्रम को लेकर निर्धारित की गईं शर्तों का उल्लंघन करते हुए राजनीति भाषण दिया था.


कोर्ट ने कहा संदेहों को दूर करने में असफल रहा अभियोजन पक्ष


जामनगर के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट मनीष नंदानी ने  इस मामले में अंकित घड़िया को भी सभी आरोपों से बरी कर दिया. कोर्ट ने पाया कि अभियोजन पक्ष इस मामले में सभी संदेहों को दूर करने में विफल रहा है और शिकायतकर्ता जो अब एक रिटायरर्ड सरकारी कर्मचारी है, को भी शिकायत में सभी विवरणों की जानकारी नहीं थी. इस मामले में जामनगर ए डिवीजन पुलिस स्टेशन में दर्ज एफआईआर के अनुसार, पाटीदार अनामत आंदोलन समिति (पीएएएस) के बैनर तले पाटीदार कोटा आंदोलन का नेतृत्व करने वाले पटेल ने जामनगर जिले के धुतरपुर गांव में 4 नवंबर 2017 को एक रैली में "राजनीतिक" भाषण दिया था. इसके एक महीने बाद गुजरात में विधानसभा के चुनाव हुए.


सामाजिक सुधार और शिक्षा जैसे मुद्दों पर रैली की मांगी गई थी अनुमति


एफआईआर में कहा गया था कि अंकित घड़िया ने कार्यक्रम को लेकर मजिस्ट्रेट से मंजूरी ली थी और कहा था कि पटेल केवल शिक्षा और सामाजिक सुधार जैसे मुद्दों पर रैली को संबोधित करेंगे, लेकिन हार्दिक पटेल ने नियमों को ताक पर रखकर वहां राजनीतिक भाषण दिया. सरकारी आदेशों की अवहेलना करने को लेकर पटेल और घड़िया पर गुजरात पुलिस अधिनियम की धारा 36 (A), 72 (2) और 135 के तहत मामला दर्ज किया गया था.


कोर्ट ने कहा- 70 दिनों बाद क्यों दर्ज की गई एफआईआर


वहीं इस पूरे मामले पर सुनाई के बाद मजिस्ट्रेट नंदनी ने अपने आदेश में कहा कि अभियोजन पक्ष यह बताने में विफल रहा है कि भाषण के 70 दिनों के बाद एफआईआर क्यों दर्ज की गई और वह सीडी किस के पास है जिसमें पटेल का भाषण था. इसके अलावा कोर्ट ने कहा कि रैली की अनुमति मांगते समय मामलातदार को जो आवेदन प्रस्तुत किया गया था उस पर पटेल और घड़िया के हस्ताक्षर भी नहीं थे. कोर्ट ने यह भी पाया कि भाषण में क्या बोला गया इस बात की जानकारी न तो गवाह को थी  और न ही शिकायतकर्ता  किरीट संघवी
को.


वहीं बचाव पक्ष द्वारा जिरह के दौरान मामलातदार कार्यालय में तत्कालीन अंचल अधिकारी संघवी ने कहा कि उन्होंने उच्चाधिकारियों के निर्देश के अनुसार शिकायत दी थी, जबकि न तो वह मौके पर मौजूद थे और न ही उन्हें यह जानकारी थी कि वास्तव में रैली में क्या हुआ था. कोर्ट ने कहा कि शिकायत दर्ज होने के बाद इस पूरे मामले की जांच यांत्रिक तरीके से की गई और ऐसा कोई भी सबूत पेश नहीं किया गया जो इस मामले में सभी संदेहों को दूर करता हो. बता दें कि हार्दिक पटेल पर  गुजरात में दो राजद्रोह के मामलों सहित लगभग 30 मामले दर्ज हैं.


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