Himachal Assembly Elections 2022: हिमाचल प्रदेश एक ऐसा राज्य है, जहां 1990 से ही भारतीय जनता पार्टी (BJP)और कांग्रेस के बीच सत्ता की लड़ाई चल रही है. पिछले कुछ सालों में, कई चुनावी रुझानों को देखकर यह पता चलता है कि हिमाचल जैसे राज्य में यह पैटर्न बदल गया है, जहां बीजेपी एक प्रमुख खिलाड़ी है. यह भगवा पार्टी के मजबूत होने और कांग्रेस के कमजोर होने के कारण ही हो सकता है. उत्तराखंड में बीजेपी मौजूदा पैटर्न को बदलने में सफल रही है. दूसरी ओर, केरल में, वाम लोकतांत्रिक मोर्चा (एलडीएफ) ने पिछले रुझानों से मुक्त होकर सत्ता बरकरार रखी.
दोनों ही मामलों में ऐसा कांग्रेस पार्टी के लचर प्रदर्शन के कारण ही हुआ. यह पैटर्न हिमाचल प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव के बारे में क्या कहता है? क्या राज्य में हर पांच साल के बाद सत्ता परिवर्तन होगा या मौजूदा रुझान खत्म हो जाएगा जैसा कि केरल और उत्तराखंड में हुआ था?
पश्चिम हिमाचल में बीजेपी की पकड़ मजबूत
बीजेपी पार्टी का पश्चिम हिमाचल में पकड़ काफी मजबूत है. हिमाचल के इस भाग को मैदानी इलाका भी कहा जाता है. इस इलाके भी 34 विधानसभा सीटें है. बीजेपी को साल 2017 में 49% वोट शेयर मिले थे. वहीं कांग्रेस पार्टी को 41 फीसदी ही वोट मिले थे. बाकि 10 फीसदी वोट अन्य को मिले थे. बिलासपुर, चंबा, हमीरपुर, कांगड़ा और ऊना जिले पश्चिम हिमाचल के अंतर्गत आते हैं.
पहाड़ी इलाकों में कांग्रेस मजबूत
कांग्रेस पार्टी की मजबूत पकड़ पहाड़ी इलाको में ज्यादा है. इस क्षेत्र में भी 34 विधानसभा सीटें हैं. हिमाचल प्रदेश का यह भाग पूर्वी हिमाचल के नाम से जाना जाता है. साल 2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी को इस इलाके में 41 % वोट मिले थे. किन्नौर, कुल्लू, लाहौल और स्पीति, मंडी, शिमला, सिरमौर और सोलन जिले पूर्वी हिमाचल के अंतर्गत आते हैं. कांग्रेस पार्टी को 2012 के विधानसभा चुनाव में 43% वोट मिले थे जबकि बीजेपी को मात्र 38% वोट मिले थे.
कौन भेदेगा पश्चिम हिमाचल का किला
हिमाचल में दोनों पार्टियों की किस्मत इस बात पर निर्भर करती है कि दोनों में से कौन दोनों क्षेत्रों में अच्छा प्रदर्शन करेगा. बीजेपी और कांग्रेस दोनों पार्टियां पश्चिम और पूर्वी हिमाचल में परंपरागत रूप से मजबूत रही हैं. बीजेपी को सत्ता बने रहने के लिए, उसे पश्चिम हिमाचल में अपना किला को बुलंद रखना होगा. हालांकि यह एक स्विंग क्षेत्र है. इस क्षेत्र में बढ़त वाला पक्ष आमतौर पर जीतता है. यह इलाका यशवंत सिंह परमार, ठाकुर राम लाल और वीरभद्र सिंह जैसे दिग्गज नेताओं की बदौलत हिल्स कांग्रेस का गढ़ रहा है.
कांग्रेस को अनुसूचित जाति का समर्थन
साल 1990 के बाद से राज्य में चुनावी परिणामों का विश्लेषण करने के बाद पता चला कि कांग्रेस को हमेशा यहां बीजेपी से अधिक वोट मिले हैं. साल 2007 विधानसभा चुनाव में बीजेपी को एक प्रतिशत अधिक वोट मिले. पूर्व में कांग्रेस के मजबूत होने का एक कारण अनुसूचित जाति (राज्य की आबादी का एक चौथाई) और अनुसूचित जनजाति का मजबूत समर्थन है. दोनों राज्य के मतदाताओं के 30 प्रतिशत से थोड़ा अधिक हैं.
कैसा प्रदर्शन करता है बीजेपी
पश्चिमी हिमाचल बीजेपी का गढ़ रहा है, वहीं पश्चिम में भी कांग्रेस का एक महत्वपूर्ण मतदाता आधार है. हालांकि, गौर करने वाली बात यह भी है कि इस क्षेत्र में जब भी कांग्रेस बीजेपी से पीछे हुई है, वह हार गई है. इसलिए राज्य में सत्ता परिवर्तन करने के लिए कांग्रेस को पश्चिम हिमाचल में बीजेपी पार्टी से बेहतर प्रदर्शन करना होगा. पश्चिम इलाके में ऐसे खेल होते हैं. इसलिए, यह देखना उचित होगा कि इस क्षेत्र में बीजेपी और कांग्रेस कैसा प्रदर्शन करती है. पश्चिम हिमाचल के चुनावी नतीजे राज्य के भविष्य का निर्धारण करेंगे.
पश्चिम हिमाचल में बीजेपी की पकड़ मजबूत
बीजेपी पार्टी का पश्चिम हिमाचल में पकड़ काफी मजबूत है. हिमाचल के इस भाग को मैदानी इलाका भी कहा जाता है. इस इलाके भी 34 विधानसभा सीटें है. बीजेपी को साल 2017 में 49% वोट शेयर मिले थे. वहीं कांग्रेस पार्टी को 41 फीसदी ही वोट मिले थे. बाकि 10 फीसदी वोट अन्य को मिले थे. बिलासपुर, चंबा, हमीरपुर, कांगड़ा और ऊना जिले पश्चिम हिमाचल के अंतर्गत आते हैं.
पहाड़ी इलाकों में कांग्रेस मजबूत
कांग्रेस पार्टी की मजबूत पकड़ पहाड़ी इलाको में ज्यादा है. इस क्षेत्र में भी 34 विधानसभा सीटें हैं. हिमाचल प्रदेश का यह भाग पूर्वी हिमाचल के नाम से जाना जाता है. साल 2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी को इस इलाके में 41 % वोट मिले थे. किन्नौर, कुल्लू, लाहौल और स्पीति, मंडी, शिमला, सिरमौर और सोलन जिले पूर्वी हिमाचल के अंतर्गत आते हैं. कांग्रेस पार्टी को 2012 के विधानसभा चुनाव में 43% वोट मिले थे जबकि बीजेपी को मात्र 38% वोट मिले थे.
कौन भेदेगा पश्चिम हिमाचल का किला
हिमाचल में दोनों पार्टियों की किस्मत इस बात पर निर्भर करती है कि दोनों में से कौन दोनों क्षेत्रों में अच्छा प्रदर्शन करेगा. बीजेपी और कांग्रेस दोनों पार्टियां पश्चिम और पूर्वी हिमाचल में परंपरागत रूप से मजबूत रही हैं. बीजेपी को सत्ता बने रहने के लिए, उसे पश्चिम हिमाचल में अपना किला को बुलंद रखना होगा. हालांकि यह एक स्विंग क्षेत्र है. इस क्षेत्र में बढ़त वाला पक्ष आमतौर पर जीतता है. यह इलाका यशवंत सिंह परमार, ठाकुर राम लाल और वीरभद्र सिंह जैसे दिग्गज नेताओं की बदौलत हिल्स कांग्रेस का गढ़ रहा है.
कांग्रेस को अनुसूचित जाति का समर्थन
साल 1990 के बाद से राज्य में चुनावी परिणामों का विश्लेषण करने के बाद पता चला कि कांग्रेस को हमेशा यहां बीजेपी से अधिक वोट मिले हैं. साल 2007 विधानसभा चुनाव में बीजेपी को एक प्रतिशत अधिक वोट मिले. पूर्व में कांग्रेस के मजबूत होने का एक कारण अनुसूचित जाति (राज्य की आबादी का एक चौथाई) और अनुसूचित जनजाति का मजबूत समर्थन है. दोनों राज्य के मतदाताओं के 30 प्रतिशत से थोड़ा अधिक हैं.
कैसा प्रदर्शन करता है बीजेपी
पश्चिमी हिमाचल बीजेपी का गढ़ रहा है, वहीं पश्चिम में भी कांग्रेस का एक महत्वपूर्ण मतदाता आधार है. हालांकि, गौर करने वाली बात यह भी है कि इस क्षेत्र में जब भी कांग्रेस बीजेपी से पीछे हुई है, वह हार गई है. इसलिए राज्य में सत्ता परिवर्तन करने के लिए कांग्रेस को पश्चिम हिमाचल में बीजेपी पार्टी से बेहतर प्रदर्शन करना होगा. पश्चिम इलाके में ऐसे खेल होते हैं. इसलिए, यह देखना उचित होगा कि इस क्षेत्र में बीजेपी और कांग्रेस कैसा प्रदर्शन करती है. पश्चिम हिमाचल के चुनावी नतीजे राज्य के भविष्य का निर्धारण करेंगे.