कच्छ में फर्जी ED की टीम बनकर ज्वैलर्स के यहां छापा, पुलिस ने 12 अपराधियों को गिरफ्तार किया
Kutch Crime News: ईस्ट कच्छ पुलिस की ओर से जारी एक विज्ञप्ति में कहा गया है कि फर्जी ईडी बनकर छापेमारी की घटना 2 दिसंबर को एक ज्वैलर्स के परिसर में हुई. पुलिस ने टीम गठित कर आरोपियों को दबोचा.
Gujarat Crime News: गुजरात के कच्छ में फर्जी ईडी बनकर छापेमारी करने वाले गिरोह के सदस्यों को पुलिस ने दबोचा है. राज्य के गांधीधाम में पुलिस ने इस आरोप में 12 लोगों को गिरफ्तार किया है. आरोप है कि फर्जी ईडी बनकर इस गिरोह के सदस्यों ने 22.25 लाख रुपये मूल्य की नकदी और ज्वैलरी चुरा लिए. पुलिस के एक अधिकारी ने गुरुवार (5 दिसंबर) को इस बारे में जानकारी दी.
ईस्ट कच्छ पुलिस की ओर से जारी एक विज्ञप्ति में कहा गया है कि घटना 2 दिसंबर को राधिका ज्वैलर्स के परिसर में हुई. उन्होंने इस फर्जी रेड के दौरान 22.25 लाख रुपये की नकदी और आभूषण चुरा लिए. व्यापारी ने पुलिस से इस बारे में संपर्क करते हुए शिकायत की, जिसके बाद कई टीमों का गठन किया गया.
फर्जी छापेमारी में गिरफ्तार आरोपियों के नाम
पुलिस ने इस मामले में आरोपी भरत मोरवाडिया, देवायत खाचर, अब्दुलसत्तार मंजोथी, हितेश ठक्कर, विनोद चुडासमा, यूजीन डेविड, आशीष मिश्रा, चंद्रराज नायर, अजय देबे, अमित मेहता, उनकी पत्नी निशा मेहता और शैलेंद्र देसाई को गिरफ्तार किया है. पुलिस ने इन आरोपियों के पास से 22.27 लाख रुपये के सोने के आभूषण बरामद किए हैं, जबकि तीन कारें भी जब्त की गई हैं. वारदात में साजिश का हिस्सा बताए जा रहे विपिन शर्मा नाम का अपराधी अभी फरार बताया जा रहा है.
गांधीधाम निवासी मोरवाडिया ने बनाया था प्लान
पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक गांधीधाम निवासी मोरवाडिया ही राधिका ज्वैलर्स पर इस तरह की फर्जी छापेमारी का प्लान बनाया था. विज्ञप्ति में कहा गया है कि उसने अपने सहयोगी खाचर को बताया कि आयकर विभाग ने लगभग छह साल पहले इस ज्वैलर्स के यहां पर छापा मारा था और बड़ी मात्रा में नकदी और आभूषण जब्त किए थे.
मोरवाडिया ने खाचर को बताया कि राधिका ज्वैलर्स के मालिकों के पास अभी भी 100 करोड़ रुपये की संपत्ति है, जिसके बाद इसमें कहा गया है कि बाद में मंजोथी, हितेश ठक्कर और विनोद चुडासमा को शामिल किया गया. वे 15 दिन पहले आदिपुर शहर में एक चाय की दुकान पर मिले थे और खुद को ईडी अधिकारी बताकर कंपनी पर छापा मारने की योजना तैयार की थी.
विज्ञप्ति में कहा गया है कि चुडासमा ने इसके बाद मिश्रा से मदद मांगी, जिन्होंने अहमदाबाद निवासी नायर, अमित, निशा, विपिन शर्मा और अहमदाबाद में डिविजनल रेलवे मैनेजर के कार्यालय में अनुवादक के रूप में काम करने वाले शैलेन्द्र देसाई को शामिल किया. इसके बाद देसाई ने अंकित तिवारी नाम के एक ईडी अधिकारी की फर्जी आईडी कार्ड तैयार की.
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